जयपुर। राजस्थान में सत्तारुढ़ कांग्रेस के वरिष्ठ विधायक हेमाराम चौधरी के विधानसभा सदस्यता से इस्तीफा देने के बाद भारतीय जनता पार्टी के नेताओं ने इसे कांग्रेस का अंतर्कलह जबकि कांग्रेस ने इसे पारिवारिक मामला बताया है।
भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष डा सतीश पूनियां ने इस पर कहा कि मुख्यमन्त्री अशोक गहलोत से राज्य में ना कोरोना प्रबंधन संभल रहा और ना कांग्रेस पार्टी। कांग्रेस के वरिष्ठ विधायक हेमाराम चौधरी के इस्तीफे से कांग्रेस का अंतर्कलह जनता के सामने आ चुका है, अब गहलोत इसका दोष किसे देंगे।
उन्होंने कहा कि विधानसभा सत्र के दौरान भी चौधरी अपनी पीड़ा जाहिर कर चुके थे, जिन्होंने अपने विधानसभा क्षेत्र में विकास कार्य नहीं होने का मुद्दा भी उठाया था। उन्होंने कहा कि कांग्रेस के इस अंदरूनी झगड़े के कारण प्रदेश में विकास कार्य नहीं होने से आमजन परेशान हैं, कर्जमाफी नहीं होने से किसान ठगा हुआ महसूस कर रहे हैं और भर्तियां पूरी नहीं होने से युवा निराश हैं।
उन्होंने कहा कि चौधरी का इस्तीफा कांग्रेस का अंदरूनी मामला है, लेकिन उन्होंने अपने क्षेत्र की जनता की समस्याओं के समाधान नहीं होने से तंग होकर इस्तीफा दिया है। इस सरकार में जब एक वरिष्ठ विधायक की सुनवाई नहीं हो रही है तो जनता उससे क्या उम्मीद करे। इससे यह साबित हो गया है कि कांग्रेस में न आंतरिक लोकतंत्र बचा है और न विधायकों का सम्मान बचा है।
नेता प्रतिपक्ष गुलाबचंद कटारिया ने कहा कि चौधरी के बार-बार प्रयास के बावजूद भी जनता की समस्याओं के समाधान नहीं हुआ तो उन्होंने इस्तीफा देना ही उचित समझा। उन्होंने कहा कि उन्हें चौधरी के साथ लंबे समय तक विधायक रहने का सौभाग्य मिला है। उन्होंने विधायक, मंत्री, नेता प्रतिपक्ष के रुप में जब भी विधानसभा में बोला है, कभी बनावटी बात नहीं की और सच्चाई सामने लाने का प्रयत्न किया। जनता की पीड़ा सदन के रिकार्ड पर लाए। उन्होंने कहा कि दो ग्रुप हो और वह एक ग्रुप के साथ हो, यह अलग बात है।
कटारिया ने कहा कि उन्हें लगता है राजस्थान की विधानसभा में बिरले ही ऐसे मामले हुए होंगे कि कोई विधायक अपनी जनता की समस्याओं का समाधान नहीं होने पर अपनी सदस्यता छोड़ रहा है। उन्होंने कहा कि उनका इस्तीफा सोचनीय विषय है जिस पर हम सबको विचार करना चाहिए।
उपनेता प्रतिपक्ष राजेन्द्र सिंह राठौड ने कहा कि कांग्रेस में अधिनायकवाद इतना पनप गया कि छह बार के वरिष्ठ विधायक हेमाराम चौधरी की लगातार अनदेखी की गई, इसकी वजह से उन्हें मजबूरन अपना इस्तीफा देना पड़ा। सरकार के जहाज के पैंदे में सुराख हो गया है, इस्तीफे के बाद पानी भरना शुरू हो गया है। जहाज कब डूब जाएं पता नहीं। इससे कांग्रेस का अंतर्विरोध सामने आ ही गया। उन्होंने कहा कि चौधरी के बाद एक बार फिर कांग्रेस का अंतर्विरोध सामने आ ही गया।
केन्द्रीय मंत्री गजेन्द्र सिंह शेखावत ने कहा कि हेमारामजी का इस्तीफा और गोविंद सिंहजी का उनसे बात करना कांग्रेस के अंदरूनी कलह का हिस्सा है। शेखावत ने कहा कि चलो अबकी बार ये तो नहीं कहा कि इसमें भी अमित शाह या मोदी जी का हाथ है।
केन्द्रीय मंत्री कैलाश चौधरी ने कहा कि जिस सरकार से सत्ताधारी दल के विधायक ही संतुष्ट ना हो, तो जनता की उनसे सुशासन और न्याय की उम्मीद करना ही बेमानी है। अंतर्कलह, असमन्वयता और कुप्रबंधन का प्रमाण बन चुकी कांग्रेस से उसके विधायक और राजस्थान की जनता त्रस्त हो चुकी है।
उधर, कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा ने कहा कि हेमारामजी हमारी पार्टी के वरिष्ठ और सम्मानीय नेता हैं। उनके विधायक पद से इस्तीफ़े की जानकारी के बाद मेरी उनसे बात हुई है। यह पारिवारिक मामला है, जल्द ही मिल बैठकर सुलझा लिया जाएगा। उल्लेखनीय हैं कि हेमाराम चौधरी ने इससे पहले भी विधानसभा सदस्यता से इस्तीफा दिया था, लेकिन उन्हें मना लिया गया।
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