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संतों एवं राजनेताओं को बरी किया जाना सत्य की जीत है : सतीश पूनियां - Sabguru News
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संतों एवं राजनेताओं को बरी किया जाना सत्य की जीत है : सतीश पूनियां

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संतों एवं राजनेताओं को बरी किया जाना सत्य की जीत है : सतीश पूनियां

जयपुर। राजस्थान में भारतीय जनता पार्टी प्रदेशाध्यक्ष डाॅ. सतीश पूनियां ने कहा है कि अयोध्या में अतिक्रमित ढांचे के ध्वंस के मामले में वरिष्ठ संतों एवं राजनेताओं को न्यायालय द्वारा बरी किया जाना धर्म, आस्था, सत्य और न्याय की जीत है।

पूनियां ने आज ट्विट करके कहा कि श्रीराम जन्मभूमि के आंदोलन से जुड़े पूज्यनीय संतों, भाजपा नेताओं, समाजसेवियों सहित तमाम लोगों को माननीय न्यायालय ने बरी करके ऐतिहासिक फैसला किया है। उन्होंने कहा कि सीबीआई की विशेष अदालत के निर्णय का वह सम्मान करते हैं।

उन्होंने कहा कि वास्तव में यह प्रभु श्रीराम की महिमा ही है कि एक तरफ तो रामलला के भव्य मंदिर के निर्माण का शुभारंभ हुआ है और दूसरी तरफ माननीय न्यायालय ने तमाम आंदोलनकारियों को बरी कर दिया है।

न्यायालय के निर्णय से हर्ष का माहौल : शेखावत

बाबरी विध्वंस मामले में न्यायालय के निर्णय को केंद्रीय जलशक्ति मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत ने सत्य की जीत बताया है। शेखावत ने बुधवार को कहा कि कहावत है कि सत्य को दबाया जा सकता है, उसे कुचला जा सकता है, लेकिन हराया और पराजित नहीं जा सकता है। यह कहावत एक बार फिर सही साबित हुई है। ऐसे वरिष्ठ नेता, जिनको षड्यंत्रकारी बताया जा रहा था, न्यायालय ने उन्हें आरोप मुक्त किया है। न्यायालय के फैसले से देशभर में हर्ष का माहौल है। आज देश इस निर्णय पर खुशी के साथ जय-जय श्रीराम का नारा लगा रहा है।

बुधवार को अपनी प्रतिक्रिया देते हुए शेखावत ने कहा कि कुछ लोगों को सवाल उठाने की आदत है। चाहे वह फैसला न्यायालय में हो या चाहे संसद में हो। कुछ लोग सवाल उठाते हैं और लोगों के बीच भ्रम फैलाने का काम करते हैं। यह वही लोग हैं, जिन्होंने सी.ए.ए के समय इस तरह के सवाल उठाए थे।

यह वही लोग हैं, जो किसानों के जीवन में क्रांतिकारी परिवर्तन लाने वाले बिल के विरोध में आवाज उठा रहे हैं। यह वही लोग हैं, जो राम मंदिर के सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर भी सवाल उठाते हैं। यह वही लोग हैं, जो सीबीआई अदालत के फैसले पर भी सवाल उठाते हैं। ये लोग सवाल उठाने के रोग से मानसिक रूप से पीड़ित हैं।

केंद्रीय मंत्री ने कहा कि कुछ लोग यह षड्यंत्र रच रहे थे कि भाजपा के नेताओं को कैसे बदनाम किया जाए। कैसे इन नेताओं को अपने रास्ते से हटाकर अपने मार्ग को निष्कंटक किया जाए, लेकिन प्रभु श्रीराम की लीला देखिए, इस प्रकार षड्यंत्र करने वाले खुद ही इस मार्ग से हट तो गए ही, बल्कि दहाई की संख्या तक सीमित होकर रह गए। गौरतलब है कि न्यायालय ने इस केस में लालकृष्ण आडवाणी, मुरली मनोहर जोशी, कल्याण सिंह, उमा भारती समेत 32 नेताओं को आरोपमुक्त किया है।

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