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लोकतंत्र एवं संविधान को बचाने के लिए वैचारिक आंदोलन तैयार करे युवा पीढ़ी : गहलोत - Sabguru News
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लोकतंत्र एवं संविधान को बचाने के लिए वैचारिक आंदोलन तैयार करे युवा पीढ़ी : गहलोत

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लोकतंत्र एवं संविधान को बचाने के लिए वैचारिक आंदोलन तैयार करे युवा पीढ़ी : गहलोत

जयपुर। राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने देश के इतिहास एवं सामाजिक-सांस्कृतिक मूल्यों पर अध्ययन करके लोकतंत्र और संविधान को बचाने के लिए एक वैचारिक आंदोलन तैयार करने का युवाओं का आह्वान किया है।

गहलोत मंगलवार को जलियांवाला बाग दिवस के अवसर पर वेबिनार के रूप में आयोजित राज्य स्तरीय संगोष्ठी ‘स्वतंत्रता संग्राम एवं हमारे युवा’ को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि वर्तमान में हमारा देश ऐसे मोड़ पर आ गया है, जब शासन को संचालित करने वाली अधिकतर संस्थाओं के दबाव में होने की बात कही जा रही है। संवैधानिक संस्थाओं को ठीक से काम करने की आजादी देने का माहौल तैयार करना युवा पीढ़ी का कर्तव्य है।

राज्य सरकार के उच्च शिक्षा तथा युवा मामले एवं खेल विभागों और शांति एवं अहिंसा प्रकोष्ठ ने संयुक्त रूप से इस संगोष्ठी का आयोजन किया। इसमें प्रदेशभर के एनएसएस, एनसीसी, स्काउट एंड गाइड सहित कॉलेजों एवं युवा संगठनों से जुड़े कार्यकर्ताओं, कॉलेजों एवं विश्वविद्यालयों के शिक्षकों ने भागीदारी की। फेसबुक, यूट्यूब आदि सोशल मीडिया प्लेटफार्म पर प्रसारण के चलते बड़ी संख्या में आम लोग भी कार्यक्रम से जुड़े।

गहलोत ने कहा कि ब्रिटिश साम्राज्य के चंगुल से भारत की आजादी के आंदोलन का इतिहास हमारे सामने है, जिसमें बड़ी संख्या में युवाओं ने भाग लिया और जवानी देश पर कुर्बान कर दी। उन्होंने कहा कि महात्मा गांधी, सरदार पटेल, मौलाना आजाद, बाबा साहेब अंबेडकर, नेताजी सुभाष चन्द्र बोस आदि नेताओं के अनुकरण में लाखों युवाओं ने इसमें भागीदारी निभाई। भगत सिंह, अशफाकउल्लाह खान, राजगुरू, चन्द्रशेखर आजाद, रानी लक्ष्मीबाई, तात्या टोपे जैसे क्रांतिकारी तो स्वयं अगुआ बनकर संघर्ष में कूदे।

उन्होंने कहा कि हमारे पूर्वजों ने उस दौर में हमें मानव-मानव के बीच भेद नहीं करने तथा जातिवाद और सांप्रदायिकता जैसी बुराइयों को मिटाने का संदेश दिया। फिर से युवाओं को ऎसे भेदभाव के विरूद्ध खड़े होने तथा सही को सही और गलत को गलत कहने की हिम्मत करनी होगी। यदि युवा पीढ़ी अपनी जिम्मेदारी को निभाएगी, तभी वह इतिहास बना सकेगी। युवाओं को स्वयंसेवी संगठनों के रूप में संगठित होकर देश के ज्वलंत मुद्दों पर बातचीत और संवाद के माध्यम से वैचारिक क्रांति लानी होगी।