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रक्षाबंधन के दिन विधायकों के घर नहीं पहुंचने पर खेद है : अशोक गहलोत - Sabguru News
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रक्षाबंधन के दिन विधायकों के घर नहीं पहुंचने पर खेद है : अशोक गहलोत

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रक्षाबंधन के दिन विधायकों के घर नहीं पहुंचने पर खेद है : अशोक गहलोत

जयपुर। राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने रक्षाबंधन के दिन विधायकों के घर पर नहीं पहुंचने के लिए खेद व्यक्त करते हुए कहा कि देश में लोकतंत्र बचाने के लिए यह सब किया जा रहा है।

गहलोत सोमवार को पत्रकारों से बातचीत में कहा कि राज्य में ये परिस्थिति क्यों बनी है सबको मालूम है। हमारी सबकी प्रायोरिटी है देश में लोकतंत्र मजबूत बने, हम सबकी देशवासियों की हो, प्रदेशवासियों की, हर व्यक्ति की प्रायोरिटी है और डेमोक्रेसी बचाने के लिए सबकुछ किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि प्रदेश की जनता पूरे खेल को देख रही है, जिस रूप में सरकार को टॉपल करने का प्रयास किया गया।

गहलोत ने कहा कि राज्य सरकार गिराने का यह तीसरा प्रयास था तथा दो प्रयास पहले हो चुके थे। उन्होंने कहा कि कर्नाटक में, मध्यप्रदेश का सबसे मालूम हैं। राजस्थान के अंदर और बड़े रूप में उनकी तैयारी थी। इतना बड़ा गैप है तब भी बेशर्माई से, कोई शर्म ही नहीं आ रही थी कि कहां तो 73 और कहां 122 हमारे पास थे, तब भी गेम खेला गया धन-बल के आधार पर, वो मैं कई बार कह चुका हूं।

उन्होंने कहा कि हॉर्स ट्रेडिंग बड़े रूप में की गई, अभी भी की जा रही है, अभी भी टेलीफोन आते हैं और क्या-क्या नहीं कहा जा रहा है, सब जानकारी हमारे पास आती है। उन्होंने कहा कि भारत सरकार में बैठे हुए नेता हैं, जिनके नाम मैं पहले ले चुका हूं, मैं नहीं समझता कि जनता की नजर से कोई बचेगा, अल्टीमेटली सच्चाई की जीत होती है। सच्चाई हमारे साथ में है, जीत असली सच्चाई की ही होगी।

गहलोत ने कहा कि जिस रूप से एक केन्द्रिय मंत्री सरकार गिराने के लिए मैदान में ही कूद पडे। सारी राजस्थान की परंपराओं को और यहां का जो मिजाज है लोगों का, पॉलीटिशियन का, उसको भी भूल गए क्योंकि नए-नए सांसद बन गए, फिर जल्दी मौका मिल गया मंत्री बनने का केंद्र में तो जल्दबाजी हो गई उनको।

उन्होंने कहा कि टेकऑफ होने के पहले ही वो धराशायी खुद ही हो गए। अब चाहे उनकी पार्टी कितना ही सोच ले उनके बारे में, जनता उनके नाम को कभी स्वीकार नहीं करेगी। ऐसे व्यक्ति को, पूरी चुनी हुई सरकार को टॉपल करने के गेम में शामिल हो, जो खुद स्कैम में फंसा हुआ हो, वो कौनसी सोसायटी है, मैं नाम भूल जाता हूं बार-बार, संजीवनी सोसायटी में फंसा हुआ हो, पूरा खेल किस प्रकार से खेला गया।