जयपुर। राजस्थान प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष सचिन पायलट ने प्रधानमंत्री की अजमेर में आयोजित सभा को प्रदेश की जनता के लिए निराशाजनक बताते हुए कहा कि प्रधानमंत्री ने प्रदेश की भाजपा सरकार के कार्यकाल की अंतिम बेला की इस सभा में भी राजनीतिक द्वेषता को व्यक्त करते हुए जनता को फिर एक बार नाउम्मीद किया है।
पायलट ने शनिवार को जारी बयान में कहा कि प्रधानमंत्री ने अपनी सभा में कहा कि मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे को पूरा समय नहीं मिला, इसलिए वह और ज्यादा काम नहीं कर सकी, जो खुद इस बात का सूचक है कि प्रदेश की भाजपा सरकार ने अपने सम्पूर्ण कार्यकाल को नीहित् स्वार्थ साधने में बिताया है इसलिए उन्हें पांच साल की अवधि भी छोटी लग रही है।
उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री ने दावा किया कि प्रदेश को 24 घण्टे बिजली मिलती है जबकि सच्चाई यह है कि राजधानी तक बिजली कटौती का सामना कर रही है और अब सैकड़ों किसानों को मरने के लिए मजबूर कर चुकी मुख्यमंत्री ने घोषणा की है कि किसानों को मुफ्त बिजली दी जाएगी जो थोथा दावा है।
उन्होेंने कहा कि प्रधानमंत्री के अनुसार उनके राज में आने से पहले देश की व्यवस्थाएं 18वीं सदी जैसी थी जो देश की विकास की परम्परा को धूमिल बताने का प्रयास है और जिन पूर्व प्रधानमंत्री स्वर्गीय अटल बिहारी वाजपेयी के चित्र के आगे खड़े होकर प्रधानमंत्री सम्बोधन दे रहे थे उनके कार्यकाल तक को उन्होंने नकार दिया, जो आत्ममुग्ध होने का सबसे बड़ा परिचायक है।
उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री को शायद पता नहीं है कि अजमेर जहॉं वे जनता को सम्बोधित कर रहे थे उसकी मुख्यमंत्री ने चरम पर अनदेखी की है और रेलवे परियोजनाओं सहित सभी आधारभूत संरचनाओं का विकास ठप किया है।
उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री ने निरन्तर पांच साल तक प्रदेश की अनदेखी की और इसके साथ ही कभी भी मुख्यमंत्री के कामों की सराहना नहीं की और अब चुनावों के मद्देनजर राजे की तारीफ करते दिखाई दिए, जो वैसा ही है जैसे अधूरी द्रव्यवति योजना का उद्घाटन कर मुख्यमंत्री ने श्रेय लेने का काम किया हैं।
उन्होंने कहा कि चुनाव आयोग की घोषित दोपहर 12:30 बजे आयोजित होने वाली प्रेसवार्ता को स्थगित कर दोपहर 3 बजे आयोजित किए जाने के पीछे प्रधानमंत्री की सभा में उनके भाषण को पूरा होने के समय को ध्यान में रखा गया है। उन्होंने कहा कि भारत के निर्वाचन आयोग की देश में प्रतिष्ठा है और आयोग की विश्वसनीयता कायम रहे इसलिए आवश्यक है कि निर्वाचन आयोग सरकारी दबाव से मुक्त रहे।
परन्तु दुर्भाग्य है कि प्रधानमंत्री की सभा को आचार संहिता लागू होने से पहले सम्पन्न करवाने के उद्देश्य से भाजपा सरकार के दबाव में निर्वाचन आयोग ने घोषित प्रेसवार्ता को ढाई घण्टे स्थगित किया।