जयपुर। राज्य विधानसभा में राजस्थान इलेक्ट्रोपैथी चिकित्सा पद्धति विधेयक 2018 शुक्रवार को ध्वनिमत से पारित कर दिया गया। चिकित्सा एवं स्वास्थ्य मंत्री कालीचरण सरा ने विधेयक को सदन में प्रस्तुत किया।
उन्होंने विधेयक को सदन में लाने के कारणों एवं उद्देश्यों के बारे में बताते हुए कहा कि आयुर्वेद, नैचुरोपैथी, एलौपैथी, यूनानी, होम्योपैथी जैसी अनेक पद्धतियों के माध्यम से मानव-जाति को चिकित्सकीय सेवा प्राप्त होने लगी है। इन्हीं चिकित्सा पद्धतियों के समान चिकित्सकीय सेवा प्रदान करने के लिए इलेक्ट्रोनिक चिकित्सा पद्धति की खोज हुई।
सराफ ने कहा कि इलेक्ट्रोहोम्योपैथी चिकित्सा पद्धति की खोज कांउट सीजर मैटी नामक इटालियन सांईटिस्ट ने 1865 ई. में की, जिसे बाद में इलेक्ट्रोपैथी के नाम से जाना गया।
उन्होंने बताया कि इलेक्ट्रोपैथी औषधियां पौधों के रस से बनती है। इन औषधीय पौधों में बायो ऊर्जा शरीर की असंतुलित बायो ऊर्जा को संतुलित करती है। उन्होंने बताया कि इलेक्ट्रोपैथी पद्धति के लीगल आस्पेक्ट एवं वैज्ञानिक विश्लेषण के लिए सरकार द्वारा समितियां बनाई गई। इसके साथ ही विभिन्न विशेषज्ञों से भी विचार-विमर्श किया गया।
सराफ ने कहा कि राजस्थान में आयुर्वेद का सबसे बड़ा इन्फ्रास्ट्रक्चर है। उन्होंने कहा कि होम्योपैथी और आयुर्वेद का विधेयक भी देश में सबसे पहले राजस्थान में लाया गया था। इलेक्ट्रोपैथी से लोगों को सस्ता इलाज मुहैया होगा और इसके कोई साइड इफेक्ट भी नहीं है।