जयपुर। राजस्थान उच्च न्यायालय ने राजस्थान के लाखों अभिभावकों को राहत देते हुए निजी विद्यालयों को ट्यूशन फीस वसूलने के आदेश पर नौ अक्टूबर तक रोक लगा दी है।
मुख्य न्यायाधीश इंद्रजीत माेहंती एवं न्यायाधीश महेंद्र गोयल की खंडपीठ ने गुरुवार को इस मामले की सुनवाई करते हुए एकलपीठ के आदेश पर नौ अक्टूबर तक रोक लगा दी है। उच्च न्यायालय इस मामले की अंतिम सुनवाई पांच अक्टूबर को करेगा। एकलपीठ के फैसले पर रोक लगने से स्कूल संचालक अब अभिभावकों से फीस वसूली नहीं कर सकेंगे।
सरकार की ओर से पैरवी करने वाले अतिरिक्त महाधिवक्ता राजेश महर्षि ने बताया कि आज के आदेश से अब राज्य सरकार के सात अप्रैल और नौ जुलाई के फीस स्थगन के आदेश प्रभावी हो गए हैं। इसके तहत अब कोई भी विद्यालय अभिभावकों से फीस वसूल नहीं कर सकता है। उन्होंने बताया कि कल जारी हुई अनलॉक-5 की गाइडलाइन के अनुसार राज्य सरकार फीस को लेकर नई नीति बनाने जा रही है।
न्यायमूर्ति एसपी शर्मा की एकलपीठ में कैथोलिक एजुकेशन सोसायटी, प्रोग्रेसिव एजुकेशन सोसायटी और अन्य की याचिकाओं के जरिए करीब 200 स्कूलों ने राज्य सरकार के फीस स्थगन के नौ अप्रेल और सात जुलाई के आदेश को चुनौती दी थी। राज्य सरकार के इन आदेशों से निजी स्कूल फीस नहीं ले पा रहे थे।
याचिकाकर्ताओं का कहना था कि फीस नहीं ले पाने से निजी विद्यालयों को बहुत नुकसान हो रहा है। ऐसे में राज्य सरकार के आदेश पर रोक लगाई जाए। न्यायालय ने आदेश पर रोक लगाने से तो इन्कार कर दिया था, लेकिन विद्यालयों को यह छूट दे दी थी कि वे अपनी ट्यूशन फीस का 70 प्रतिशत अभिभावकों से वसूल कर सकती हैं।
अभिभावक तीन किस्तों में स्कूल को फीस की अदायगी करेंगे। साथ ही यह यह भी आदेश दिया कि फीस नहीं देने पर बच्चों को ऑनलाइन कक्षाओं में शामिल नहीं किया जा सकता, लेकिन बच्चे का नाम स्कूल से काटा नहीं जाएगा।