जोधपुर। राजस्थान हाईकोर्ट ने राज्य के सरकारी अस्पतालों में बच्चों की मौत पर आज स्वत: संज्ञान लिया। न्यायालय की जोधपुर मुख्यपीठ में एक मामले की सुनवाई के दौरान हाल में कोटा सहित राज्य के अन्य अस्पतालों में बच्चों की मौत पर स्वत: संज्ञान लिया गया।
न्यायालय में वर्ष 2017 में बांसवाड़ा के सरकारी अस्पताल में एक महीने में नब्बे बच्चों की मौत के मामले में सुनवाई के दौरान मुख्य न्यायाधीश इंद्रजीत महांति और न्यायमूर्ति पुष्पेन्द्र सिंह भाटी की खंडपीठ ने यह स्वत: संज्ञान लिया।
न्यायालय ने राज्य सरकार से बच्चों की मौत का कारण पूछते हुए रिपोर्ट तलब की है। मामले की अगली सुनवाई आगामी दस फरवरी को होगी। न्यायालय ने बच्चों की मौतों पर चिंता जताते हुए कहा कि सरकारी अस्पतालों में डॉक्टरों और दूसरे कर्मचारियों के काफी पद खाली हैं।
चिकित्सक के बिना मरीजों का इलाज कैसे संभव होगा। न्यायालय ने राज्य सरकार से प्रदेश के सभी सरकारी अस्पतालों में सभी तरह के कर्मचारियों के स्वीकृत और रिक्त पदों की सूची पेश करने का आदेश दिया। खंडपीठ ने सरकारी अस्पतालों के पूरे रिकॉर्ड को कंप्यूटरीकृत करने का आदेश भी दिया।
न्यायालय न्यायमित्र राजवेन्द्र सारस्वत और अतिरिक्त महाधिवक्ता पंकज शर्मा को राज्य के किसी दो जिला अस्पतालों का औचक निरीक्षण कर रिपोर्ट पेश करने के निर्दश दिए। उल्लेखनीय है कि गत दिसम्बर से कोटा के जेके लोन अस्पताल में करीब 110 बच्चों की मौत हो गई। इसी तरह अन्य सरकारी अस्पतालों में भी बच्चों की मौत हो जाने की खबरें सामने आई।