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पौराणिक एवं परंपरागत कलाओं का संरक्षण करना अनिवार्य : शास्त्री - Sabguru News
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पौराणिक एवं परंपरागत कलाओं का संरक्षण करना अनिवार्य : शास्त्री

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पौराणिक एवं परंपरागत कलाओं का संरक्षण करना अनिवार्य : शास्त्री

राजस्थान ललित कला अकादमी के ग्रीष्मकालीन शिविर का समापन
अजमेर। महज दस दिन में ऐसा हुनर सीखा की देखने वाले भी दंग रह गए। पौराणिक कलाकृतियों को एक से बढकर एक पेंटिंग ने दर्शकों का दिल जीत लिया। यह कमाल 10 साल से 60 साल की उम्र तक के कलाप्रेमियों ने कर दिखाया।

राजस्थान ललित कला अकादमी जयपुर, दयानंद महाविद्यालय अजमेर के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित प्रशिक्षण शिविर के समापन अवसर पर गुरुवार को दयानंद सभागार में चित्रकार सम्मान एवं ग्रीष्म प्रशिक्षण शिविर समापन समारोह आयोजित किया गया। दस दिवसीय शिविर की प्रदर्शनी दीर्घा में प्रशिक्षणार्थियों की ओर से बनाई गई कलाकृतियों का अवलोकन कर लोगों ने खूब सराहना की।

समापन समारोह के मुख्य अतिथि अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी के सदस्य विभाकर शास्त्री ने इस मौके पर कहा कि पौराणिक एवं परंपरागत कलाओं को संरक्षण किया जाना आवश्यक है। नई पीढ़ी को यह कला सीखने और सिखाने के लिए प्रेरित करना चाहिए।

उन्होंने कहा कि राज्य सरकार कला एवं कलाकारों को निखारने के लिए हर संभव प्रयास कर रही है। राजस्थान ललित कला अकादमी सरकार की मंशा के अनुरूप पेंटिंग, चित्रकला, कलाकृति एवं अन्य आर्ट फोरम पर प्रदर्शनी लगाकर व्यापक प्रचार प्रसार भी कर रही है। इसी क्रम में कलाकारों को निखारने के लिए प्रशिक्षण शिविर आयोजित किए जा रहे हैं।

उन्होंंने अपने दादा लालबहादुर शास्त्री के सादगीपूर्ण जीवन का उल्लेख करते हुए कहाकि देश के प्रधानमन्त्री बनने पर भी उनके सिद्धांतों में कभी बदलाव नहीं आया। उन्होंने इस पद को विलासिता नहीं बल्कि कांटों का ताज मानकर ग्रहण किया।

समारोह में राजस्थान ललित कला अकादमी के अध्यक्ष एवं राज्य मंत्री लक्ष्मण व्यास मूर्तिकार ने कहा कि प्राचीन कालीन एवं पौराणिक कलाएं लुप्त होती जा रही हैं। इन कलाओं के संरक्षण तथा प्रचलन में लाने के लिए अकादमी जगह-जगह प्रशिक्षण शिविर आयोजित कर रही है। इससे कला एवं कलाकारों के विकास की निरंतरता बनी रहेगा।

समारोह की अध्यक्षता करते हुए संभागीय आयुक्त सीआर मीणा ने कहा कि सीखने की कोई उम्र नहीं होती। हम भी सीखे और दूसरों को भी सिखाएं। प्रदेश में प्रतिभाओं को निखारने एवं कला में निपुण करने के लिए राज्य सरकार कृत संकल्प है।

इससे पहले राजस्थान ललित कला अकादमी की सदस्य ममता चौहान ने शिविर का ब्यौरा प्रस्तुत करते हुए कि राजस्थान ललित कला अकादमी की ओर से दयानंद महाविद्यालय में 10 दिवसीय ग्रीष्मकालीन प्रशिक्षण शिविर के दौरान पुरातन कला, फ्रस्ट्रेशन ग्राफिक, रंगोली, मांडना आदि का प्रशिक्षण दिया गया। प्रशिक्षण में प्रदेशभर से 10 साल से 60 साल की उम्र के 100 से अधिक प्रशिक्षार्थियों ने भाग लिया। दयानंद महाविद्यालय के प्राचार्य डा लक्ष्मीकांत ने अतिथियों का माल्यार्पण कर साफा पहनाकर स्वागत व अभिनंदन किया। मंच संचालन पूनम पांडे ने किया।

इस अवसर पर कलाविद राम जयसवाल, राजेंद्र गोयल, महेश चौहान, सुमेर चारण, द्रोपती कौली, पार्षद सुनीता चौहान, भरत यादव, डॉ रमा गर्ग, मोहित मल्होत्रा, मंजू बलाई, रागिनी चतुर्वेदी, वंदना व्यास, अलका शर्मा, मामराज सैन, एडवोकेट बबिता टांक, संजय सेठी, रजनीश वर्मा सहित बडी संख्या में गणमान्य व्यक्ति उपस्थित थे।