नई दिल्ली। राजस्थान के राजनीतिक संकट का मामला एक बार फिर बुधवार को उच्चतम न्यायालय पहुंच गया। विधानसभा अध्यक्ष सीपी जोशी ने कांग्रेस नेता सचिन पायलट और उनके खेमे के 18 विधायकों के खिलाफ कार्रवाई मामले में हाईकोर्ट के 24 जुलाई के आदेश को सुप्रीमकोर्ट में आज देर शाम चुनौती दी। याचिकाकर्ता ने कहा है कि राजस्थान उच्च न्यायालय ने गत शुक्रवार का आदेश जारी करके ‘लक्ष्मण रेखा’ पार की है।
विधानसभा अध्यक्ष ने कहा है कि उच्च न्यायालय का यथास्थिति बरकरार रखने का गत शुक्रवार का आदेश देना उच्च न्यायालय का न्यायिक अनुशासनहीनता का द्योतक है। याचिकाकर्ता ने उच्च न्यायालय के आदेश पर रोक लगाने का अनुरोध शीर्ष अदालत से किया है।
गौरतलब है कि गत सोमवार को विधानसभा अध्यक्ष ने 21 जुलाई के आदेश के खिलाफ अपनी याचिका शीर्ष अदालत से वापस ले ली थी और कहा था कि उच्च न्यायालय के शुक्रवार के आदेश के बाद उनकी याचिका का कोई मतलब नहीं रह गया है। उन्होंने कहा था कि नये सिरे से अपनी याचिका दायर करेंगे।
अध्यक्ष की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने न्यायमूर्ति अरुण कुमार मिश्रा की अध्यक्षता वाली खंडपीठ के समक्ष दलील दी थी कि उच्च न्यायालय के गत शु्क्रवार के आदेश के बाद पहले के आदेश के खिलाफ याचिका जारी रखने का कोई मतलब नहीं रह जाता, इसलिए उन्हें इसे वापस लेने की अनुमति प्रदान की जाए।
सिब्बल ने कहा था कि उच्च न्यायालय ने गत 24 जुलाई को 32 पन्नों का आदेश सुनाया था, जिसमें संविधान की 10वीं अनुसूची की व्याख्या सहित कई सवाल खड़े किये गये हैं। उन्होंने कहा था कि हमें कानूनी विकल्प पर विचार करना है कि आगे क्या करना है। न्यायालय ने उन्हें याचिका वापस लेने की अनुमति प्रदान कर दी थी।