जयपुर। राजस्थान में राज्यसभा की चार सीटों पर आज हुए चुनाव में कांग्रेस उम्मीदवार रणदीप सुरजेवाला, मुकुल वासनिक एवं प्रमोद तिवारी तथा भारतीय जनता पार्टी के प्रत्याशी घनश्याम तिवाडी विजयी रहे जबकि भाजपा समर्थित एवं निर्दलीय प्रत्याशी सुभाष चन्द्रा चुनाव हार गए।
राज्यसभा की इन चार सीटों के चुनाव में कांग्रेस के तीनों प्रत्याशी चुनाव जीत गए जबकि इस चुनाव में भाजपा अपना उम्मीदवार को जीताने में सफल रही लेकिन वह अपने समर्थित एवं निर्दलीय उम्मीदवार सुभाष चन्द्रा को नहीं जीता सकी। इस चुनाव में भाजपा ने निर्दलीय को समर्थन देकर एक तरह से अपना दूसरा प्रत्याशी खड़ा किया था लेकिन मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की जादूगरी के आगे उसकी रणनीति विफल रही।
राज्यसभा चुनाव में कांग्रेस के सुरजेवाला को 43, वासनिक को 43 तथा प्रमोद तिवारी काे 41 मत मिले जबकि भाजपा के घनश्याम तिवाडी ने 43 मत हासिल किए। चुनाव हार चुके चन्द्रा को 30 मत मिले। इस चुनाव में भाजपा विधायक शोभारानी ने क्रोस वोटिंग की। उन्होंने अपना मत कांग्रेस प्रत्याशी को दिया।
इस चुनाव के बाद कांग्रेस के राज्यसभा में छह सांसद हो गए। इनके अलावा वर्तमान में पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह राजस्थान से राज्यसभा सदस्य हैं। इसी तरह नीरज डांगी एवं केसी वेणुगोपाल भी कांग्रेस से राज्यसभा सांसद हैं।
भाजपा के राज्यसभा में अब चार सांसद रह गए हैं जिनमें घनश्याम तिवाड़ी के अलावा केन्द्रीय मंत्री भूपेन्द्र यादव राजस्थान से राज्यसभा सांसद है। इसी तरह राजेन्द्र गहलोत एवं किरोड़ी लाल मीणा भी राजस्थान से भाजपा सांसद है। उल्लेखनीय है कि इससे पहले राजस्थान से राज्यसभा में भाजपा के सर्वाधिक सात सांसद थे।
सुरजेवाला हरियाणा के कैथल से विधायक बनकर भूपेंद्र सिंह हुड्डा नीत कांग्रेस सरकार में वर्ष 2009 से 2014 तक मंत्री रहे हैं। वह हरियाणा के सबसे कम आयु के मंत्री बने थे। वर्ष 2005 में उन्हें यातायात व संसदीय कार्य मंत्री भी बनाया गया। वर्ष 2014 के चुनावों में कांग्रेस प्रदेश में तीसरे स्थान पर रही लेकिन रणदीप अपनी सीट से पुनः निर्वाचित होने में सफल रहे।
कांग्रेस के राज्यसभा चुनाव जीतने वाले दूसरे प्रत्याशी मुकुल वासनिक महाराष्ट्र की बुलढाना लोकसभी सीट से 25 साल की उम्र में सांसद बन थे। मुकुल वासनिक ने बुलढाना संसदीय सीट से 1984, 1991 और 1998 में लोकसभा चुनाव जीता था।
वर्ष 2009 में उन्होंने अपनी पारंपरिक सीट बुलढाना को छोड़ दिया और रामटेक से लोकसभा चुनाव जीता। उनके अनुभव को देखते हुए उन्हें संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन सरकार (संप्रग) में सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्री बनाया गया था। वह राजस्थान में पार्टी प्रभारी भी रहे।
कांग्रेस के चुनाव जीतने वाले तीसरे उम्मीदवार प्रमोद तिवारी उत्तर प्रदेश में रामपुर खास विधानसभा सीट से नौ बार लगातार चुनाव जीता। प्रमोद तिवारी इस सीट से पहली बार 1980 में जीते थे। प्रमोद तिवारी 1984 से 1989 के बीच दो बार राज्य मंत्री बने। प्रतापगढ़ की रामपुरखास सीट से लगातार नौ विधानसभा चुनाव जीतकर गिनीज बुक में अपना नाम दर्ज कराने वाले प्रमोद तिवारी पिछले दो दशक से कांग्रेस विधायक दल के नेता भी रहे।
इनके अलावा भाजपा उम्मीदवार के रुप में राज्यसभा चुनाव जीतने वाले करीब 75 वर्ष के घनश्याम तिवाड़ी का लंबा राजनीतिक अनुभव रहा है। वह करीब 45 साल से राजनीति में सक्रिय हैं। भाजपा की सरकारों में मंत्री भी रहे। चिकित्सा, शिक्षा जैसे महकमे भी संभाले। वर्ष 2013 में वसुंधरा राजे ने तिवाड़ी को मंत्री नहीं बनाने पर उन्होंने राजे के खिलाफ मोर्चा खोल दिया।
बाद में जून 2018 में तिवाड़ी ने भाजपा छोड़ दी और भारत वाहिनी पार्टी नाम से अपनी नई पार्टी बना ली और सांगानेर से अपनी पार्टी के उम्मीदवार के रुप में विधानसभा का चुनाव लड़ा लेकिन वह भाजपा प्रत्याशी के आगे अपनी जमानत भी नहीं बचा पाए। इसके बाद लोकसभा चुनाव के समय कांग्रेस में शामिल हो गए लेकिन बाद में वापस भाजपा में आ गए।