अजमेर। लॉकडाउन के दौरान वेतन न मिलने साथ ही सितंबर से लागू एरियर का भुगतान अटकने से राजस्थान पथ परिवहन निगम की केन्द्रीय कार्यशाला अजमेर में अप्रेंटिस प्रशिक्षणार्थियों को फाकाकाशी की नौबत आ गई है। इतना ही नहीं बल्कि प्रशिक्षण अवधि पूर्ण हो जाने के बाद भी उन्हें प्रमाण पत्र न देकर जबरन काम करने को मजबूर किया जा रहा है।
अपनी गुहार लेकर कलेक्टर की चौखट पर पहुंचे पीडित प्रशिक्षणाथियों ने सौंपे ज्ञापन में बताया कि लॉकडाउन के दौरान माह अप्रेल और मई का भुगतान आज दिनांक तक नहीं किया जा रहा जबकि विभाग की अन्य ईकाईयों में कार्यरत कार्मिकों को वेतन बहुत पहले ही दिया जा चुका है।
करीब 40-45 अप्रेंटिस को प्रबंधक वित्त के द्वारा कल परसों का आश्वासन देकर लंबे समय से टाला जा रहा है। जब भी बकाया मानदेय की मांग को लेकर प्रबंधक से मिलते हैं तो उनका एक ही जवाब होता है कि हैड आफिस से फंड नहीं आया है। सवाल यह है कि जब अन्य कार्मिकों को वेतन के लिए फंड आ गया तो फिर अप्रेंटिस के साथ भेदभाव क्यों किया जा रहा है।
पीडितों ने अपनी व्यथा बयान करते हुए बताया कि हम सभी गरीब परिवारों से हैं। आर्थिक स्थिति अच्छी नहीं है। एक वर्षीय प्रशिक्षण पूरा कर लेने के बाद भी अब तक प्रमाण पत्र नहीं दिया जा रहा और ना ही दो माह का बकाया भुगतान किया जा रहा है। वर्तमान में भी बिना किसी लिखित आदेशों या निर्देशों के कार्यशाला में बुलाया गया।
ज्ञापन सौंपने वालों में अप्रेंटिस हंसराज प्रजापति, जितेन्द्र टांक, गौरव तंवर, अक्षय, विष्णु, राजवीर, महेन्द्र, कुंदन, अजरुद्दीन, प्रकाश, सुलेमान, अल्लादीन, शेर मोहम्मद, रविन्द्र कुमार , लोकेन्द्र,समेत अन्य अप्रेंटिस शामिल थे।