अजमेर। राजस्थान राज्य पथ परिवहन निगम रोडवेज के कर्मचारी मध्यरात्रि से दो दिवसीय चक्का जाम हडताल पर उतर गए। हडताल से अधिकतर बसों का संचालन थम गया। अजमेर बस स्टेंड पर भी बसें थमी रहने से यात्री परेशान होते रहे।
बुधवार सुबह हडताली रोडवेज कर्मचारी बस स्टेंड पर जमा हो गए तथा परिसर में ही धरने पर बैठ गए। हडताल को परिवहन फेडरेशन का समर्थन नहीं मिलने से चक्का जाम का असर शहरी क्षेत्रों में अधिक देखा गया। ग्रामीण इलाकों में बसों का आवागमन देखा गया।
अजमेर बस स्टेंड पर कार्यालय खुले रहे, कर्मचारियों ने उपस्थिति भी दर्ज कराई लेकिन चक्का जाम प्रभावी रहा। यात्रीभार नहीं होने के कारण टिकिट विंडो पर सन्नाटा पसरा रहा। माखूपुरा स्थित रोडवेज की केन्द्रीय कार्यशाला में कर्मचारियों की उपस्थिति से कामकाज जारी रहा। किसी भी तरह की अप्रिय घटना को रोकने तथा सुरक्षा के लिए रोडवेज डीपो तथा केन्द्रीय बस स्टेंड पर पुलिस जाप्ता तैनात रहा।
इस बीच संयुक्त कर्मचारी महासंघ राजस्थान ने भी 25 और 26 जुलाई की दो दिवसीय हड़ताल को पूरा समर्थन और सहयोग देने का ऐलान किया है। महासंघ ने कहा है कि 25 जुलाई को सुबह 11:30 बजे बडी संख्या में रोडवेज बस स्टैंड पहुंच कर रोडवेज के कर्मचारियों को अपना समर्थन और सहयोग देंगे।
महासंघ की अजमेर ईकाई के अध्यक्ष कांति कुमार शर्मा ने बताया कि रोडवेज के कर्मचारियों के साथ सरकार के द्वारा किए जा रहे शोषण और अन्याय के खिलाफ शेष कर्मचारी वर्ग भी कंधे से कंधा मिलाकर खडा है।
हडताल में यह भी पेंच
रोडवेज के सभी कर्मचारी हडताल पर उतरे हो ऐसा नहीं है। सीटू, इंटक के चक्का जाम के ऐलान को भारतीय मजदूर संघ से संबंद्ध परिवहन फेडरेशन का समर्थन नहीं मिलने से बस संचालन रुक जाने जैसी स्थिति नहीं आएगी। फेडरेशन के संयुक्त महामंत्री आनंद सिंह ने बताया कि वर्तमान परिस्थिति में हडताल से निगम को 5 करोड 40 लाख रुपए प्रतिदिन नुकसान होगा साथ ही आम जन को परेशानी का सामना करना पडेगा।
प्रतिस्पर्धा और निजी वाहनों की उपलब्धता के दौर में हडताल करने को आत्मघाती कदम को फेडरेशन उचित नहीं मानता तथा सरकार से वार्ता के जरिए मसले को सुलझाए जाने के पक्ष में है। फेडरेशन ने समय समय पर कर्मचारियों के हितों के लिए संघर्ष किया है और उसके सफल परिणाम भी आए हैं।
कर्मचारियों की 13 सूत्रीय मांगों की हड़ताल से रोडवेज का हुआ चक्का जाम