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राजस्थान के लोकतंत्र को सीएम राजे की निजी जागीर नहीं बनने देंगे : घनश्याम तिवाडी - Sabguru News
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राजस्थान के लोकतंत्र को सीएम राजे की निजी जागीर नहीं बनने देंगे : घनश्याम तिवाडी

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राजस्थान के लोकतंत्र को सीएम राजे की निजी जागीर नहीं बनने देंगे : घनश्याम तिवाडी
Rajasthan: Senior BJP leader Ghanshyam
Rajasthan: Senior BJP leader Ghanshyam
Rajasthan: Senior BJP leader Ghanshyam

जयपुर। भाजपा के वरिष्ठ नेता तथा विधायक घनश्याम तिवाड़ी ने गृह मंत्री कटारिया तथा राजेन्द्र सिंह राठौड़ के विधानसभा के कथन का जवाब देते हुए कहा कि राजस्थान विधानसभा में शुक्रवार को जब उन्हें बोलने से रोका गया इसे तानाशाही का दिन माना जाएगा।

वे सदन में जनहित और राजस्थान की जनसम्पदा से जुड़े ​बहुत ही अहम मुद्दे उठाना चाहते थे। लेकिन सरकार नहीं चाहती थी कि वे मुद्दे विधानसभा में उठें तथा मीडिया के माध्यम से जनता के बीच जाएं। इसलिए मुख्यमंत्री के इशारे पर उन्हें सदन से बाहर निकल जाने के लिए कह दिया गया और इसके लिए दुहाई दी गई लोकतंत्र की।

तिवाड़ी ने कहा कि हकीकत तो ये है कि मौजूदा मुख्यमंत्री ने पहले तो सत्ता और संगठन हथिया लिया और अब विधानसभा को भी वे अपने अधीन करने का प्रयत्न कर रही हैं। मुख्यमंत्री राजस्थान में लोकतंत्र को अपनी निजी जागीर में बदलना चाहती हैं। राजस्थान को इन्होंने चारागाह बना दिया है। गृहमंत्री और संसदीय कार्यमंत्री इनकी इस लूट के सिपहसालार हैं।

गृह मंत्री तथा संसदीय कार्यमंत्री गिरेबान में झांके

तिवाड़ी ने कहा कि उन्हें आश्चर्य हुआ कि गृहमंत्री गुलाबचंद कटारिया और संसदीय कार्यमंत्री राजेन्द्र राठौड़ विधानसभा में अनुशासन की दुहाई दे रहे हैं। अच्छा होता वे एक बार अपने गिरेबां में झांक कर देख लेते।

तिवाड़ी ने कहा कि ये दोनों वर्तमान मंत्री याद करें शुक्रवार 20 मार्च 2010 का वह दिन जब यही विधानसभा अखाड़ा बन गई थी। कटारिया—राठौड़ बार-बार तत्समय सदन के नेता अशोक गहलोत को बोलने नहीं दे रहे थे और सदन की कार्यवाही में निरंतर व्यवधान डाल रहे थे।

तत्समय विधानसभा अध्यक्ष ने उन्हें चेताया फिर भी वे नहीं माने तो अध्यक्ष ने सदन से राठौड़ को निलम्बित कर दिया, निलम्बन के बाद भी वे बाहर नहीं गए तो उन्हें निकालने के लिए अध्यक्ष को सुरक्षा प्रहरियों को आदेश देना पड़ा। फिर इन्होंने सुरक्षा प्रहरियों के साथ हाथापाई की। नेता प्रतिपक्ष का पद रिक्त था और वर्तमान मुख्यमंत्री विदेशों में आराम फ़रमा रहीं थी।

त​ब विरोधस्वरूप तिवाड़ी ही उपनेता होने के नाते ग्यारह विधायकों के साथ इनका निलम्बन वापस लेने के लिए विधानसभा में अनशन पर बैठे थे। अगले दिन तत्कालीन मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने आकर उनका अनशन तुड़वाया और निष्कासन वापस लेने का प्रस्ताव करवाया। विधानसभा का इतिहास राठौड़ और कटारिया के ऐसे कारनामों से भरा पड़ा है। इसलिए आज इन्हें कर्ण की तरह धर्म का उपदेश देने का कोई अधिकार नहीं है।

तिवाड़ी ने कहा कि वे ये बात भी याद दिलाना चाहते हैं कि विधानसभा में ऐसे अनेक मौके आए हैं जब सदन में नेता के बोलने के दौरान भी विषय की गंभीरता को देखते हुए सदस्यों को बीच में बोलने के लिए 5 से 10 मिनट तक बोलने का समय दिया गया। बोलने के बाद प्रश्न पूछने का मौका भी दिया गया। ज​बकि वे तो अध्यक्ष के टोकने के बाद लोकतंत्र की रक्षा के लिए विरोध के प्रतीक में सदन में सिर्फ खड़ा रहना चाहते थे।

तिवाड़ी ने कहा कि पूरी ताक़त के साथ वे इस तानाशाही और ढांचागत लूट के ख़िलाफ़ विधानसभा में तथा जनता के बीच जनजागृति का काम करेंगे।