देश की राजधानी नई दिल्ली दिवाली पर पटाखों के धुएं से नहा गई। पटाखे छोड़ते समय लोगों ने एक बार फिर से सुप्रीम कोर्ट के आदेश की अवहेलना की। देर रात तक लोग आतिशबाजी करते रहे। एक ताे हमारे देश में तमाम शहर पिछले कई सालों से बढ़ते प्रदूषण की समस्या से परेशान हैं, ऊपर से यह पटाखों का धुआं और भी लोगों को बीमार बना रहा है। रविवार रात में प्रदूषण इतना अधिक बढ़ गया कि लोगों को सांस लेने में तकलीफ होने लगी।
इसके साथ ही एनसीआर के क्षेत्रों में गुड़गांव, नोएडा, फरीदाबाद और मेरठ में भी पटाखों के धुएं ने लोगों का दम निकाल दिया। दिल्ली में दिवाली पर छोड़े गए पटाखों की वजह से प्रदूषण का स्तर और बढ़ गया है। हर तरफ धुंध छाई हुई है। लोगों को सांस लेने में तकलीफ और आंखों में जलन से जूझना पड़ रहा है। सुप्रीम कोर्ट ने दिवाली पर पटाखा छोड़ने के लिए दो घंटे की सीमा तय की थी लेकिन लोगों ने इसके अलावा भी पटाखे छोड़े।
जिसकी वजह से दिल्ली की हवा में पटाखों की तेज आवाज के साथ ही जहरीला धुंआ और राख भर गया। कई इलाकों में तो वायु गुणवत्ता का स्तर ‘गंभीर’ स्तर को पार गया। वहीं पूरे दिल्ली की बात करें तो यहां वायु गुणवत्ता ‘बहुत खराब’ स्तर पर पहुंच गई। दिल्ली की औसत वायु गुणवत्ता का स्तर 327 पर पहुंच गया। दिल्ली के नजदीक स्थित शहरों फरीदाबाद, गाजियाबाद, ग्रेटर नोएडा और नोएडा में रविवार रात 11 बजे वायु गुणवत्ता का स्तर क्रमश: 320, 382, 312 और 344 रहा।
बता दें कि पिछले दिवाली के मौके पर दिल्ली में वायु गुणवत्ता का स्तर सुरक्षित सीमा से 12 गुना अधिक 600 तक पहुंच गया था। देश के तमाम शहरों में पटाखों ने वायु प्रदूषण बढ़ा दिया है। शून्य से 50 के बीच के एक्यूआई (एयर क्वालिटी इंडेक्स) को ‘अच्छा’, 51 से 100 को ‘संतोषजनक’, 101 से 200 को ‘मध्यम’, 201 से 300 को ‘खराब’, 301 से 400 को ‘बहुत खराब’ और 401 से 500 को ‘गंभीर’ और 500 से ऊपर को अति गंभीर आपात स्थिति की श्रेणी में रखा जाता है। देश में बढ़ते प्रदूषण को लेकर हम लोगों को गंभीर होना पड़ेगा नहीं तो आने वाले समय में यह समस्या और विकराल होगी, जिससे लोगों का जीना मुश्किल हो जाएगा।
शंभू नाथ गौतम, वरिष्ठ पत्रकार