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raje Government failed to curb gravel mafia: Ashok Gehlot-बजरी माफिया पर अंकुश लगाने में सरकार पूरी तरह विफल : अशोक गहलोत - Sabguru News
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बजरी माफिया पर अंकुश लगाने में सरकार पूरी तरह विफल : अशोक गहलोत

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बजरी माफिया पर अंकुश लगाने में सरकार पूरी तरह विफल : अशोक गहलोत
Former chief minister Ashok Gehlot
 Former chief minister Ashok Gehlot
Former chief minister Ashok Gehlot

जयपुर। राजस्थान के पूर्व मुख्यमंत्री एवं कांग्रेस के राष्ट्रीय महासचिव अशोक गहलोत ने कहा है कि भारतीय जनता पार्टी सरकार की लापरवाही एवं मिलीभगत के कारण प्रदेश में बजरी माफिया के हौसलें बुलन्द है।

गहलोत ने आज यहां जारी एक बयान कहा कि एक तरफ अवैध बजरी खनन की रोकथाम से जुड़े सरकारी अमले पर लगातार हमले किए जाने की घटनायें घटित हो रही है, वहीं दूसरी ओर निर्माण कार्यो के लिए बजरी खरीदने की मजबूरी के कारण आम जनता इनके हाथों लुटी जा रही है। इन हालातों के बावजूद राज्य सरकार आंख मूंदे बैठी हुई है।

उन्होंने कहा कि चम्बल और बनास नदी सहित प्रदेशभर में अवैध बजरी खनन का कारोबार तेजी से बढ़ता जा रहा है। अब तक जनता से बारह हजार करोड़ रूपए से अधिक की लूट हो चुकी है।

प्रदेश में रोजाना लगभग पांच से सात हजार ट्रक बजरी की खपत होती है। जयपुर में सात आठ हजार रूपये में उपलब्ध होने वाला बजरी का ट्रक बजरी माफियाओं द्वारा तीस-चालीस हजार रूपये में बेचा जा रहा है। बजरी माफियाओं द्वारा कहीं सरपंच की हत्या की गई तो कहीं पुलिस प्रशासन एवं खनिज विभाग के अधिकारियों पर भी हमले किए गए।

पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य सरकार द्वारा सर्वोच्च न्यायालय में सशक्त पैरवी नहीं करने की वजह से प्रदेश में बजरी खनन का संकट उत्पन्न हुआ है। करीब 25 लाख से ज्यादा लोग बेरोजगार हो गये है। जिनमें बजरी खनन से जुड़े श्रमिक, बजरी ट्रक ड्राइवर, उनके मालिक, निर्माण मजदूर एवं कारीगर आदि शामिल है।

बजरी संकट के कारण भवन निर्माण कार्य रूक गए हैं, वहीं राजधानी जयपुर सहित प्रदेश में सरकार के सभी छोटे बड़े प्रोजेक्ट भी अटक गए हैं। इसको लेकर आम जनता में असंतोष और आक्रोश फैला हुआ है।

गहलोत ने कहा कि सर्वोच्च न्यायालय ने बजरी माफियाओं के साथ सरकार की मिलीभगत को लेकर तीखी टिप्पणी की है। सर्वोच्च न्यायालय और उच्च न्यायालय ने नदियों में हुए खनन कार्य के प्रतिस्थापन्न एवं पर्यावरणीय अध्ययन के निर्देश दिए थे किन्तु राज्य सरकार द्वारा न्यायालय की मंशा के अनुरूप पर्यावरणीय अध्ययन की रिपोर्ट प्रस्तुत नहीं की गई। यदि न्यायालय के निर्देशानुसार यह समय पर मंशा के अनुरूप प्रस्तुत कर दी जाती तो वैद्यानिक तरीके से खनन की अनुमति मिल सकती थी।

पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा कि भाजपा सरकार के दौरान खनन से जुड़ी नीतियों को बार-बार बदला गया। सुनिश्चित नीति के अभाव में ही बजरी माफिया ने सारी हदें पार कर दी। सरकार के संरक्षण में बजरी माफिया सोना काट रहे है और सब जानते हैं कि मुख्यमंत्री एवं उनकी सरकार की शह के बिना यह सम्भव नहीं है कि बजरी माफिया लगातार लूट मचाए और सरकार हाथ पर हाथ धरे देखती रह जाए।