जयपुर। राजधानी जयपुर के वैशाली नगर इलाके में डी-ब्लॉक स्थित एनएचएआई ऑफिस के बाहर 15 दिन पहले दिनदहाड़े गोली मारकर एनएचएआई की कंसल्टेंट एजेंसी के एडवाइजर गुडगांव निवासी राजेंद्र चावला की हत्या से शहर में दहशत का माहौल बन गया था।
देशभर के इंजीनियरों में भी डर बैठ गया था क्योंकि एक मीटिंग से सिगरेट पीने के लिए बाहर निकले राजेंद्र की दिनदहाड़े गोली मारकर हत्या करने के बाद जब लोगों से पूछताछ की गई तो कोई कारण सामने नहीं आया।
लेकिन जयपुर पुलिस के 200 पुलिसकर्मियों ने वारदात के 9वें दिन खुलासा करते हुए 5 हजार करोड़ की कंस्ट्रक्शन कंपनी ई-5 इन्फ्रास्ट्रक्चर के मालिक करणदीप श्योराण व 3 अन्य कर्मचारियों को गिरफ्तार कर लिया। लोगों को भरोसा नहीं हुआ कि करणदीप मात्र 35 करोड़ के टेंडर के विवाद में इस तरह का कदम उठा सकता है।
हरियाणा पीडब्ल्यूडी से रिटायर होने के बाद एनएचएआई की कंसल्टेंट का काम कर रही स्कॉट विल्सन में एडवाइजर के पद पर काम कर रहे थे। जयपुर से गुडगांव तक प्रोजेक्ट देख रहे थे।
इंजीनियर को मारने से टेंडर का रास्ता हो जाता साफ, भविष्य में दूसरा कोई इंजीनियर रूकावट नहीं डालता। जब करणदीप और उनके कर्मचारियों से पूछताछ की तो चौंकाने वाले तथ्य सामने आए कि एक एडवाइजर इंजीनियर को मरवाने से इस टेंडर का रास्ता तो क्लीयर हो ही जाता।
साथी ही आगे के लिए भी रास्ता साफ हो जाता क्योंकि भविष्य में दूसरा कोई इंजीनियर इनकी कंपनी के काम में किसी प्रकार की बाधा नहीं डालता। करण ने अपनी ही कंपनी के कर्मचारियों का इस्तेमाल करते हुए प्रमोशन का लालच देकर वारदात के लिए तैयार कर दिया।
करण की कंपनी को जयपुर-गुड़गांव हाइवे पर 14 सिंगल स्पेन फुटओवर ब्रिज बनाने के लिए 35 करोड़ का टेंडर मिला था। इस टेंडर में डबल स्पेन की डिजाइन अप्रूव कराना चाहते थे। स्कॉट विल्सन की तरफ से चावला ने मना कर दिया बस यहीं से विवाद शुरू हो गया।
विकास की प्लानिंग के बाद करणदीप, विकास व अमित ने चावला को मारने की योजना बनाई। विकास के साथ पढ़े नवीन ने ही विकास के कहने पर अपने गांव से 15 लाख रुपए में दो शूटर रामधिया व धर्मेंद्र को गुड़गांव बुलाया। यहां पर डमी पर फायरिंग करवाकर चेक करने के बाद 26 अगस्त को जयपुर रवाना हो गए।