चेन्नई। मद्रास हाईकोर्ट ने राजीव गांधी हत्या मामले में उम्रकैद की सजायाफ्ता एस नलिनी की समय पूर्व रिहाई संबंधी याचिका पर सोमवार को अपना फैसला सुरक्षित रख लिया।
न्यायाधीश के के शशिधरन और न्यायाधीश आर सुब्रमणियम की पीठ ने संबंधित मामले की सुनवाई के बाद अपना फैसला 27 अप्रेल तक के लिए सुरक्षित रख लिया।
इससे पहले गत 12 अप्रेल को सुनवाई के दौरान न्यायालय ने तमिलनाडु सरकार को यह स्पष्ट करने के निर्देश दिये थे कि जिस मामले की जांच केंद्रीय एजेंसियों ने की है, उसमें सजायाफ्ता को समय पूर्व रिहा किए जाने के संबंध में संविधान के अनुच्छेद 161 के तहत क्या राज्यपाल ने केंद्र से विचार-विमर्श किया है। राज्य सरकार की ओर से सोमवार को न्यायालय में स्पष्टीकरण दिए जाने के बाद पीठ ने अपना फैसला सुरक्षित रख लिया।
नलिनी ने संविधान के अनुच्छेद 161 (राज्यपाल को प्राप्त शक्तियां) और 1994 में राज्य सरकार की योजना के तहत अपनी समय पूर्व रिहाई की अपील को खारिज किए जाने संबंधी न्यायाधीश एम सत्यनारायण के 2016 के आदेश को चुनौती देते हुए याचिका दायर की थी। उसने अपनी याचिका में राज्य सरकार की उस योजना का हवाला दिया था, जिसमें 20 साल की सजा काट लेने व्यक्ति को समय पूर्व रिहाई की पात्र बताया गया था।
राज्य सरकार ने संबंधित मामले के शीर्ष अदालत में विचाराधीन होने का हवाला देते हुए नलिनी की याचिका का विरोध किया था। शीर्ष अदालत ने मार्च 2016 में अपने आदेश में स्पष्ट किया था कि जिन मामलों की जांच केंद्रीय एजेंसियों ने की है, उनमें दंड विधान संहिता (सीआरपीसी) की धारा 435 के तहत समय पूर्व रिहाई के लिए केंद्र की सहमति आवश्यक है।
हालांकि नलिनी के वकील ने कहा कि उनके मुवक्किल की याचिका सीआरपीसी की धारा 435 के तहत नहीं, बल्कि संविधान के अनुच्छेद 161 के तहत है, इसलिए इस मामले में केंद्र से विचार-विमर्श की आवश्यकता नहीं है।