नयी दिल्ली । केन्द्रीय गृह मंत्री राजनाथ सिंह ने आज राज्यसभा में कहा कि सरकार असम सहित पूर्वोत्तर के सभी राज्यों के लोगों की पहचान और संस्कृति के संरक्षण तथा क्षेत्र में शांति बनाये रखने के साथ साथ वहां विकास कार्यों के लिए प्रतिबद्ध है।
सिंह ने नागरिकता संशोधन विधेयक लोकसभा में पारित होने के बाद पूर्वोत्तर के कुछ राज्यों में बंद से उत्पन्न स्थिति पर सदन में वक्तव्य देते हुए कहा कि सरकार को असम, त्रिपुरा और मेघालय में हिंसा की कुछ घटनाओं की जानकारी मिली है लेकिन वह सदन को बताना चाहते हैं कि अब पूर्वोत्तर के सभी राज्यों में स्थिति नियंत्रण में तथा शांतिपूर्ण बनी हुई है। केन्द्र सरकार इस मामले में राज्य सरकारों के साथ संपर्क में है और स्थिति पर कड़ी नजर बनाये हुए है।
गृह मंत्री ने कहा कि जरूरत हुई तो वह खुद पूर्वोत्तर के सभी राज्यों के मुख्यमंत्रियों के साथ बैठक भी करेंगे। उन्होंने कहा कि केन्द्र सरकार की नीतियों के चलते पूर्वोत्तर में सुरक्षा स्थिति में अप्रत्याशित सुधार हुआ है और विकास के कार्यों में भी तेजी आयी है। सरकार ने पूर्वोत्तर के लोगों की सालों से लंबित मांगों को पूरा किया है।
उन्होंने कहा कि जहां तक नागरिकता संशोधन विधेयक का सवाल है तो सरकार को इस बात की जानकारी है कि इसे लेकर कुछ भ्रांति फैलाने की कोशिश की जा रही है। वह स्पष्ट करना चाहते हैं कि यह केवल असम तक ही सीमित नहीं है और यह विधेयक समूचे देश के लिए है।
सिंह ने कहा कि यह विधेयक किसी एक विशेष देश नहीं बल्कि तीन देशों पाकिस्तान, अफगानिस्तान और बंगलादेश में अल्पसंख्यकों के रूप में धार्मिक उत्पीड़न झेलने के बाद वहां से आये हिन्दु, ईसाई, बौद्ध, पारसी,सिख आदि समुदायों के लोगों के लिए है। वहां से आकर यहां रह रहे ये लोग अब भारतीय नागरिकता के लिए आवेदन कर सकेंगे। उन्होंने कहा कि यह आशंका गलत है कि यह विधेयक केवल असम के लिए है।
वह स्पष्ट करना चाहते हैं कि यह विधेयक पूरे देश के लिए है और केवल असम तक सीमित नहीं है। उन्होंने कहा कि ये लोग केवल असम में ही नहीं बल्कि गुजरात, राजस्थान , मध्य प्रदेश और दिल्ली में भी रह रहे हैं। इनकी जिम्मेदारी केवल पूर्वोत्तर की ही नहीं बल्कि पूरे देश की है।
उन्होंने कहा कि जहां तक असम का मामला है वहां लंबे समय तक चले आंदोलन के बाद 15 अगस्त 1985 को असम समझौते पर हस्ताक्षर किये गये थे। अब सरकार ने इस समझौते के अनुच्छेद 6 को प्रभावी ढंग से लागू करने के लिए कई कदम उठाये हैं। इसके प्रभावी क्रियान्वयन के लिए एक उच्च स्तरीय समिति का भी गठन किया गया है। साथ ही असम में राष्ट्रीय नागरिकता रजिस्टर का काम भी पूरा किया जा रहा है। इन सभी प्रक्रियाओं में सभी संबंधित पक्षों के साथ विस्तार से बातचीत की जा रही है।
सरकार ने असम के छह समुदायों को अनुसूचित जनजाति का दर्जा देने संबंधी सिफारिशों को भी स्वीकार कर लिया है और इससे संंबंधित संविधान संशोधन विधेयक भी संसद में पेश किया गया है। इन्हें अनुसूचित जनजाति का दर्जा देते समय इस बात का पूरा ध्यान रखा गया है कि मौजूदा जनजातियों के हितों पर कोई आंच न आये और उनके अधिकारों की पूरी रक्षा की गयी है। केन्द्र ने बोड़ो समुदाय की लंबे समय से चली आ रही कई मांगों को भी पूरा किया है। साथ ही संविधान के प्रावधानों के अनुसार बोडो परिषद भी बनायी गयी हैं। स्वायत्त परिषदों को भी ज्यादा अधिकार दिये गये हैं।
साथ ही सरकार पर्वतीय क्षेत्रों में रहने वाले लोगों को अनुसूचित जनजाति का दर्जा देने की दिशा में भी काम कर रही है। उन्होंने कहा कि इन सभी कदमों को उठाते हुए इस बात का ध्यान रखा जा रहा है कि किसी के हितों पर किसी तरह की चोट नहीं पहुंचे।
सिंह ने कहा कि वह सदस्यों को आश्वस्त करना चाहते हैं कि केन्द्र सरकार केवल असम ही नहीं समूचे पूर्वोत्तर के लोगों की पहचान और संस्कृति के संरक्षण के साथ साथ वहां शांति बनाये रखने तथा क्षेत्रों के विकास के प्रति वचनबद्ध है। सरकार आगे भी वहां के लोगों की आकांक्षाओं तथा भावनाओं के अनुसार काम करती रहेगी और उनके कल्याण संबंधी कदम उठायेगी।