नयी दिल्ली । केन्द्रीय गृह मंत्री राजनाथ सिंह ने कोलकाता में रविवार को शारदा चिटफंड घोटाले की जांच के वास्ते गये केन्द्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) के दल साथ कोलकाता पुलिस के अभूतपूर्व टकराव पर गहरी चिंता व्यक्त करते हुए सोमवार का कहा कि यह स्थिति देश के संघीय ढांचे के लिए खतरा है जिसके गंभीर परिणाम हो सकते हैं।
सिंह ने यहां लोकसभा में इस मामले में हंगामे के बीच कोलकाता में कल की घटना पर एक वक्तव्य पढ़ा। उन्होंने कहा कि यह पश्चिम बंगाल में संवैधानिक व्यवस्था का टूटना हो सकता है। श्री सिंह ने शून्यकाल में तृणमूल कांग्रेस के प्रो. सौगत राय द्वारा इस मुद्दे काे लेकर मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के धरने का मामला उठाने पर नारेबाजी के बीच यह वक्तव्य दिया।
उन्होंने कहा कि कोलकाता में सीबीआई को कानूनी दायित्व को पूरा करने से रोका गया। यह इतिहास में एक अभूतपूर्व घटना है। सीबीआई शारदा घोटाले की जांच कर रही है। शारदा समूह ने लाखों गरीबों की गाढ़ी कमाई के पैसे को आकर्षक रिटर्न के बहाने से हड़प लिया। जब पैसा वापस नहीं मिला तो एक जनहित याचिका पर उच्चतम न्यायालय ने शारदा घोटाले की जांच की जिम्मेदारी उच्चतम न्यायालय को सौंपी थी। अदालत ने कहा था कि इस मामले में कई राजनेताओं के शामिल होने और राजनीतिक खेमेबंदी की संभावना है।
गृह मंत्री ने कहा कि रविवार को शाम पौने छह बजे सीबीआई की एक टीम कोलकाता पुलिस आयुक्त के घर पर पूछताछ के लिए पहुंची जिसे पश्चिम बंगाल पुलिस ने बलपूर्वक रोका और थाने ले गये। उन्होंने कहा कि सीबीआई को मजबूरन यह कदम उठाना पड़ा था क्योंकि पुलिस आयुक्त जांच में सहयोग नहीं कर रहे थे। हालात इतने गंभीर हो गये कि केन्द्रीय रिजर्व पुलिस बल (सीआरपीएफ) की तैनाती करनी पड़ी। उन्होंने कहा कि स्थानीय पुलिस और सीबीआई में यह टकराव अभूतपूर्व है। उन्होंने कहा कि वह संघीय व्यवस्था में राज्य के अधिकारों का सम्मान करते हैं लेकिन वहां करीब करीब संवैधानिक व्यवस्था टूटने जैसे हालात हो गये हैं।
श्री सिंह ने कहा कि उन्होंने राज्यपाल केशरीनाथ त्रिपाठी से बात की है और राज्यपाल ने मुख्य सचिव एवं पुलिस महानिदेशक की बैठक बुलायी है। स्वयं उन्होंने राज्यपाल से इस पूरे मामले में रिपोर्ट भेजने काे कहा है। उन्होंने कहा कि वह मुख्यमंत्री ममता बनर्जी से अपील करते हैं कि वह जांच एजेंसियों को अपना कानूनी दायित्व पूरा करने का अवसर प्रदान करें। उन्होंने कहा कि वह अन्य सभी राज्यों से अपेक्षा करते हैं कि वे ऐसा आवश्यक माहौल प्रदान करें जिससे जांच एजेंसियां निष्पक्ष ढंग से अपना काम कर सकें।