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खुशहाली के साथ अच्छी वर्षा की उम्मीद, मगरा मेवाड़ में सुखद व सुकाल की आस - Sabguru News
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खुशहाली के साथ अच्छी वर्षा की उम्मीद, मगरा मेवाड़ में सुखद व सुकाल की आस

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खुशहाली के साथ अच्छी वर्षा की उम्मीद, मगरा मेवाड़ में सुखद व सुकाल की आस

वर्षा की भविष्यवाणी का केरून्दा मण्डावर मेला सम्पन्न

राजसमंद। वर्तमान वैज्ञानिक युग में कई बार मौसम विभाग अनुमान व कयासो में फेल नजर आता है पर राजसमन्द- अजमेर- पाली जिले की वन क्षेत्र में राजसमन्द जिले के भीम तहसील क्षेत्र के गांव मण्डावर स्थित केरुण्डा बाबा रामदेव मंदिर पर शत-प्रतिशत सटीक भविष्यवाणी की जाती है।

परम्परागत रूप से करीब छह सौ साल से यह मौसम व वर्षा की भविष्यवाणी का सतत क्रम चला आ रहा है। मियाला से पूजा के लिए विशेष संघ महेंद्र सिंह तंवर, सवाई सिंह, रणजीत सिंह, दलपत सिंह, गजेंद्र सिंह के नेतृत्व में केरुन्दा पहुंचा।

ऐसे होता है आकलन

मण्डावर गांव से पश्चिम दिशा में सघन वन क्षेत्र में तेज पहाड़ी ढलान पर रोट व कुंड शुगन सहित मंदिर परिसर में दो तरह से शगुन देखे गए। इसके अनुसार अच्छे संकेत मिले है। मगरा मेवाड़ में सुखद वर्ष की आस जगी है।

पहला शगुन चार अलग-अलग कुण्ड जो की वर्षा काल के चार महीनों व चार क्षेत्रों मारवाड़, मालवा, मेवाड़ व मगरा के होते हैं। इन सूखे पड़े कुण्ड में पूजा अर्चना के उपरांत पानी आने व जल स्तर कम ज्यादा होने के आधार पर आकलन करते हैंं।

दूसरी तरह के शगुन में लाखागुड़ा के दलाराम सालवी के सानिध्य में सवा पांच किलो आटे का बड़ा रोट कुंड से निकले पानी से बनाकर उस पर कच्चा धागा लपेटा जाता है। इसे धधकते अंगारों पर कई घंटो के लिए छोड़ दिया जाता है। आने वाले वर्ष की वर्षा व जमाना अच्छा होने पर इसका कच्चा धागा नही जलता है।

रोट के पकने की अवस्था से वर्षा का सटीक आकलन किया जाता है। जो की मण्डावर गांव में आम्बा का कुआँ (मालातो की गुआर) में मंगलवार सुबह 8 बजे के करीब दिखाया गया। इसके अनुसार आगामी वर्ष में धन्यधान्य से पूर्ण व वर्षा सामान्य से अधिक बरसात की सुखद आस जगी है। इसके बाद मण्डावर के ही खजुरिया – बादरिया- रोहिडा के मध्य बड़वा कुआ पर रोट को मेलार्थियों व ग्रामीणों में बाट दिया गया।

क्या है इतिहास

समाजसेवी जसवंत सिंह मण्डावर ने बताया कि ये स्थान रुणेजा बाबा रामदेव से सीधा जुड़ा है । रामदेव के काका धनराज मेवाड महाराणा मोकल के बुलावे पर रामदेव की एवजी में देवगढ़ ( मेवाड़) के समीप कुंभा की जन्मस्थली माल्यावास मदारिया में कुंभ महोत्सव संत समागम में शरीक होने आते समय प्यास बुझाने व विश्राम के लिए केरुन्डा में रुके व दूब उखाड कर प्यास बुझाई । उस जगह आज मन्दिर है व जल की अविरल धरा बह रही है।

आधा किमी मण्डावर की तरफ़ चलने के बाद फिर पाकृतिक रूप से अवरुद्ध मार्ग में भाला ठोककर मार्ग बनाया जिसे अब कमाडभाटा कहते है। जहा पगलिये व घोड़े की खुर प्राकृतिक रूप से बनी हुई है ।

धनराज के मदारिया पहुंचने पर कुंभ महोत्सव संत समागम ने रखे घड़े (कुम्भ ) से मोकल की इच्छानुसार बालक जन्म लिया जो आगे चलकर महाराणा कुंभा कहलाया। संत समागम के बाद पुनः लौटते समय रामदेव के रूणेचा में समाधि की खबर मिलते ही यथा स्थान मियाला में समाधि ले ली। इस तरह धनराज व रामदेव के चमत्कार नायाब अजूबा केरुण्डा अपनी चारो और प्रसिद्धि पा रहा है।

पहली बार विधायक पहुंचे दुर्गम केरुन्दा में

देश की आजादी के बाद पहली कोई विधायक सुदर्शन सिंह रावत दुर्गम पहाड़ियों में अवस्तिथ केरुन्दा पहुंचे। इस अवसर पर मण्डावर सरपंच प्यारी कुमारी चौहान, रावत राजपूत महासभा संरक्षक भगवान सिंह चौहान, जसवंत सिंह मण्डावर, मिठू सिंह पटवारी, लूम्ब सिंह मण्डावर, भगवान सिंह काछबली, रमेश सिंह बोरिमादा, सारण सरपंच गजेंद्र सिंह, देवेंद्र सिंह बराखन, आनंद सिंह सुरडिया, दिनेश सिंह सुजावत, मोहन सिंह भूरियाखेड़ा, गोविंद सिंह डाँसरिया, डाउ सिंह मालावत, भोपाजी धन्ना सिंह, डूंगर सिंह पायरी, मिठू सिंह पायरी, हेम सिंह आदि साथ थे।

जल्द बनेगी डामरीकरण सड़क

विधायक सुदर्शन सिंह रावत व सरपंच प्यारी कुमारी ने बताया कि मण्डावर से केरुन्दा को जोड़ने हेतु वन सीमा तक तीन किमी सड़क जल्द बनेगी। जिसकी वित्तीय स्वीकृति हो चुकी है। मंदिर तक पहुचने के लिये हला कमाडभाटा से वन पथ बनेगा। वही वन क्षेत्र में नियमसनुसार गोरमथड़ा से मंदिर तक वन ट्रेक बनेगा।

मेलार्थियों का मण्डावर गांव में भव्य स्वागत

मियाला से केरुन्दा व केरुन्दा से मियाला चलायमान मेले का मण्डावर गांव में हलपडा में चतरपुरा नवयुवक मंडल की ओर से स्वागत किया गया । वही आम्बा का कुआ पर मालातो की गुआर की ओर से तथा बड़वा में रोहिड़ा , बादरिया व खजुरिया की ओर से स्वागत किया। इस अवसर पर मण्डावर सरपंच प्यारी कुमारी चौहान, जसवंत सिंह मण्डावर, मिठू सिंह पटवारी, उप प्रधान नारायण सिंह, अध्यापक भंवर सिंह, पन्ना सिंह आर्मी, पूरन सिंह डूंगावत, लाल सिंह डूंगावत, केटन गणेश सिंह, गोकुल सिंह, भंवर सिंह खजुरिया, देवी सिंह रोहिड़ा, नवल सिंह रोहिड़ा, रूप चंद प्रजापत, भंवर सिंह कनियात, देवी सिंह ठाकड़ा, सूबेदार मोहन सिंह डूंगावत, घीसा सिंह, नरेंद्र सिंह पोस्टमास्टर आदि मौजूद थे।