नई दिल्ली। एक नाटकीय घटनाक्रम में विपक्ष के वाकआऊट के बीच राज्यसभा ने आज बहुचर्चित सूचना का अधिकार (संशोधन) विधेयक 2019 को ध्वनिमत से पारित कर दिया और इस पर संसद की मुहर लग गई।
इससे पहले सदन ने इस विधेयक को राज्यसभा की प्रवर समिति के पास भेजने के विपक्ष के प्रस्ताव को 117 के मुकाबले 75 मतों से खारिज कर दिया। मतविभाजन के दौरान तेलुगू देशम पार्टी से भारतीय जनता पार्टी में शामिल हुए सीएम रमेश मतदान पर्चियां सदस्यों को बांटने लगे जिसे देखकर विपक्ष ने जबरदस्त हंगामा कर दिया और रमेश के हाथ कांग्रेस की विप्लव ठाकुर और तृणमूल कांग्रेस की डोला सेन ने पर्चियां छीनने का प्रयास किया। कांग्रेस के रिपुन बोरा ने रमेश का गिरेबान पकड़ने की कोशिश की। इससे सदन में धक्कामुक्की और अव्यवस्था का माहौल बन गया।
प्रावधानों के अनुसार मतविभाजन के दौरान मत पर्चियाें का वितरण और संग्रहण राज्यसभा सचिवालय के कर्मचारी करते हैं और इन्हें महासचिव को सौंपते हैं। इस बीच इस अभूतपूर्व घटना को देखते हुए दोनों पक्षों के वरिष्ठ सदस्यों ने बीच बचाव किया और स्थिति काे शांत कराने का प्रयास किया और सदस्यों को अपनी अपनी सीटों पर लौटने को कहा।
रमेश के इस व्यवहार से विपक्ष के सदस्य उत्तेजित हो गए और उनको निलंबित करने की मांग करने लगे और फिर से मत विभाजन की प्रक्रिया शुरू करने को कहा। उप सभापति हरिवंश से सदस्यों से शांत होने और मत विभाजन प्रक्रिया पूरी होने देने की अपील की।
इस पर विपक्ष के नेता गुलाम नबी आजाद ने तंज किया कि सदन में हुई इस घटना पता चलता है कि भाजपा ने 303 सीटें कैसे जीती है। सदन में जो कुछ भी हुआ है, विपक्ष इसका विरोध करता है और उसे सरकार पर कोई भरोसा नहीं है। सरकार संसद को विभाग की तरह चलाना चाहती है। विपक्ष यह नहीं होने देगा।
आजाद की इस टिप्पणी का सत्तापक्ष के सदस्यों ने कड़ा विरोध किया और दोनों पक्षों में नोक झाेंक होने लगी। इसके बाद कांग्रेस समेत संपूर्ण विपक्ष सदन से बाहर चला गया। हालांकि बहुजन समाज पार्टी और राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के सदस्य मत विभाजन के समय से ही सदन में मौजूद नहीं थे।
इसके बाद हरिवंश ने विपक्ष की गैरमौजूदगी में विधेयक को ध्वतिमत पारित कराया और सदन ने तृणमूल कांग्रेस के डेरेक ओ ब्रायन, कांग्रेस के राजीव गौडा और टी सुब्बारामी रेड्डी, मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी के के के रागेश, इलावराम करीम तथा भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के विनय विस्वम के संशोधनों को ध्वनिमत से खारिज कर दिया।