नई दिल्ली। सर्वोच्च न्यायालय ने गुरुवार को कहा कि वह राम मंदिर-बाबरी मस्जिद मामले को पूरी तरह से भूमि विवाद मानकर सुनवाई करेगा और उसने दैनिक आधार पर सुनवाई करने से मना कर दिया।
मुख्य न्यायाधीश दीपक मिश्रा, न्यायाधीश अशोक भूषण और न्यायाधीश एस अब्दुल नजीर की पीठ ने याचिककर्ताओं की रोजाना सुनवाई करने की अपील को यह कहते हुए खारिज कर दिया, 700 से ज्यादा गरीब वादी न्याय पाने का इंतजार कर रहे हैं, हमें उन्हें सुनना होगा।
सुनवाई की अगली तारीख 14 मार्च तय करते हुए न्यायालय ने पार्टियों से इसके पहले इस मामले में दस्तावेजों की अनूदित प्रतियां दाखिल करने के लिए कहा था।
न्यायालय 2010 के इलाहाबाद उच्च न्यायालय के फैसले को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुनवाई कर रही थी, जिसने विवादित बाबरी मस्जिद-रामजन्म भूमि स्थल को निर्मोही अखाड़ा, भगवान राम की जहां मूर्ति है, उसे रामलला विराजमान और सुन्नी वक्फ बोर्ड में बांटने का फैसला दिया था।
उच्च न्यायालय के इस फैसले को याचिकाकर्ताओं एम सिद्दीकी के कानूनी उत्तराधिकारियों, निर्मोही अखाड़ा, उत्तर प्रदेश सेंट्रल सुन्नी वक्फ बोर्ड, भगवान श्री राम विराजमान, अखिल भारत हिंदू महासभा के स्वामी चक्रपाणि, अखिल भारत हिंदू महासभा, अखिल भारतीय श्री रामजन्म भूमि पुनरुद्धार समिति और अन्य ने चुनौती दी थी।