अजमेर। भगवान के नाम ने कितने लोगों का इस संसार से उद्धार किया इसकी गिनती कोई नहीं कर सकता। खुद भगवान भी नहीं बता सकते कि उनके नाम से कितने जीव भवसागर से पार हो गए। ये बात प्रवचन सत्र में बद्रीकाश्रम पीठ के जगदगुरू शंकराचार्य श्रीस्वरूपानन्द महाराज के कृपा पात्र शिष्य स्वामी प्रज्ञानन्द महाराज ने प्रवचन करते हुए कही।
आजाद पार्क अयोध्या नगरी में 54 अरब श्रीराम नाम महामंत्रों की परिक्रमा के अंतिम दिन सोमवार को प्रवचन के दौरान उन्होंने कहा कि इस अयोध्या नगरी में तो प्रभु राम की कृपा नहीं बल्कि अतिकृपा बरस रही है, प्रभु नाम के दर्शन और परिक्रमा का एक साथ मौका मिल रहा है। इस तरह के सत्संग में आने का अर्थ है कि हम परमात्मा की तरफ बढ रहे हैं। तुलसी दास ने तो यहां तक कहा कि प्रभु राम को हीज भजों या खीज कल्याण हो जाता है। वाल्मीकि प्रभु के नाम का उल्टा जप मरा मरा करते हुए ब्रह्मज्ञानी हो गए।
16 दिन राम नाम परिक्रमा महोत्सव का भव्यता के साथ विश्राम
भगवान कृपा सिंधु हैं, कल्याण कारी हैं, परम कृपालु हैं। वे जीवों पर कृपा करने का कोई न कोई कारण ढूंढ लेते हैं। वे चेतना में परम चेतना भर देते हैं। जीवन में जागृति का अभाव होगा तो ईश्वर को नहीं जान सकते। इसके लिए संतों की संगत करें, सदगुरु ही सत्य का ज्ञान कराते हैं। सत्य को पहचानने की दृष्टि प्रदान करते हैं।
उन्होंने कहा कि यज्ञ के अनेक स्वरूप होते हैं। सिर्फ आहूति देना ही यज्ञ नहीं होता। भूखे को भोजन कराना भी यज्ञ है। पीडित की सेवा करना भी यज्ञ है। भक्ति करने से विवेक जागृत हो जाता है। राम का आचरण और चरित्र हमारे आचरण में आए, हम उसे अंगीकार करें तब सत्संग का असल आनंद आएगा। हमेशा इस बात को ध्यान में रखें परमात्मा राजा है तो हम राजकुमार हैं।