अजमेर। राम नाम की महिमा से शास्त्र भरे पडे हैं। भगवान राम पूर्ण ब्रह्म है। राम में समस्त ब्रहमांड बसता है। भगवान के नाम की जितनी परिक्रमा होगी उतने पाप नष्ट होते हैं। भगवान के नाम की परिक्रमा कर गणेश प्रथम पूज्य हो गए। यह बात संन्यास आश्रम अजमेर के अधिष्ठाता स्वामी शिवज्योतिषानन्द महाराज ने परिक्रमा महोत्सव के दौरान प्रवचन करते हुए कही।
उन्होंने कहा कि अजमेर की भूमि का अहोभाग्य है कि यहां 54 अरब हस्तलिखित राम नाम की परिक्रमा का अवसर मिल रहा है। हमारे यहां ऐसी मान्यता है कि कोई एक बार राम का नाम लिखकर उसकी परिक्रमा कर ले तो जगत में वंदनीय बन जाता है। अजमेर में तो साक्षात 54 अरब राम की परिक्रमा करने को मिल रही है।
उन्होंने कहा कि कल कभी नहीं आता, वर्तमान में जो कार्य हो जाता है उसे कर लो, धर्म कार्य में पीछे मत रहो। कई बार जन्म जन्मांतर के पाप हमें आगे नहीं बढने देते, ऐसे में प्रभु से प्रार्थना करो कि हे प्रभु हमारा मार्गदर्शन करें। भगवान बडे दयालु हैं, वे भक्त की प्रार्थना जरूर सुनते हैं। सबको आराम देने वाली शक्ति राम है।
राम इतने दयालु थे कि उन्होंने लंका आक्रमण के समय असुरों को सिर्फ मारा ही नहीं बल्कि उनको भवसागर से तार दिया। असुरों को भी पापों से मुक्ति दिलाई। राम के नाम में इतनी शक्ति है कि वह पत्थर दिल को भी पिघला देता है। राम नाम में वह शक्ति है कि जो दुश्मन को भी अनुरागी भक्त बना लेता है। भगवान का नाम जप कर वाल्मीकि भी संत हो गए।
मनुष्य के कर्तव्यों का बोध कराने के लिए राम धरती अवतरित हुए। राम ने राजा का प्रजा के प्रति, पुत्र का पिता के प्रति, पति का पत्नी के प्रति, भाई के प्रति भाई के प्रति दायित्व का बोध कराया। आज समाज जाति वर्ग में बंटा नजर आता है, इसे जोडने का तरीका राम का नाम है। इसे जपने में न जाति आडे आती है न समाज। राम नाम सबका मंगल करता है। किसी के जीवन में कोई कठिनाई आए तो राम नाम का स्मरण कर लें तो हल स्वत: निकल आएगा।
अयोध्या में अब रामलला ही रहेंगे : उमाशंकर
मुख्यअतिथि विश्व हिन्दू परिषद के केन्द्रीय मंत्री उमाशंकर ने राम नाम परिक्रमा महोत्सव में आए रामभक्तों का मार्गदर्शन करते हुए कहा कि हमारा सौभाग्य है कि हम इस धरती पर जन्मे। यह प्रभु राम का देश है। भारतीय समाज और जीवन दर्शन में त्याग का बडा महत्व है। राम के जीवन का विश्लेषण करें तो रामायण, रामचरित मानस जैसे हर ग्रंथ में भगवान के त्याग का वर्णन मिलता है। राम ने सत्य और धर्म की पालन करते हुए जीने की हमें जो पद्धति दी वैसी कहीं ओर नहीं मिलती। यहां घट घट में राम बसते हैं, जब तक यह धरती रहेगी तब तक राम रहेंगे।
राम कोई कोरी कल्पना नहीं है, अयोध्या में का जन्म स्थल है। आक्रांता बाबर ने इस देश में मंदिर तोडे, उस समय अयोध्या में भगवान राम के मंदिर को भी तोड कर मस्जिद खडी कर दी। राम का मंदिर टूटना देश की मर्यादा टूटने के समान था। राम को लेकर हर युग में संघर्ष चला। राम का मंदिर फिर बने यही संकल्प लेकर संत महात्मा फिर खडे हुए और 1992 में मस्जिदरूपी ढांचा ढहा दिया गया। गुलामी के निशान को राम भक्तों ने मिटा डाला और इस धरती का स्वाभिमान जाग उठा। अयोध्या में अब रामलला ही रहेंगे। 2019 में भव्य राम मंदिर का निर्माण शुरू हो जाएगा।