अजमेर। कीर्तन में मुख से राम बोला जाता है और कानों से प्रभु नाम अंतर्मन में जाता है। लेकिन लिखित जप सर्वोत्तम है, इसमें मुख, कान के साथ आंखों से भी भगवान का जप हो जाता है। क्योकि लिखते समय नजरें राम पर टिकी रहती हैं। यह बात शांतानन्द उदासीन आश्रम पुष्कर के महंत हनुमानराम उदासीन महाराज ने शनिवार को 54 अरब हस्तलिखित श्रीराम नाम महामंत्र परिक्रमा महोत्सव के 14वें दिन शनिवार को प्रवचन करते हुए कही।
उन्होंने कहा कि रामायण में भगवान राम के कीर्तन करने को प्रधानता दी गई है। राम का नाम जपना बहुत बडी बात है, राम जप के चमत्कार से हमारे शास्त्र भरे पडे हैं। राम नाम की महीमा का विस्तृत उल्लेख रामायण में गजेन्द्र मोक्ष के जरिए बताया गया है। गजेन्द्र ने भगवान राम का नाम पूरा न बोलकर सिर्फ रा शब्द का ही उच्चारण किया था। उसने यह उच्चरण इतने समर्पणभाव से किया कि प्रभु को साक्षात प्रकट होना पडा।
राम नाम की महीमा का प्रताप है कि नाम जपकर वाल्मीकि ब्रहम के समान हो गए। उनमें ऐसा ब्रहम ज्ञान उत्पन्न हुआ कि भगवान राम के जन्म से 10 हजार साल पहले रामायण की रचना कर डाली। राम नाम इतना प्रभावकारी है कि कोई एक बार भी जप कर ले तो उसके जन्मजन्मांतर के पाप मिट जाते हैं।
महाराज ने भजन जो तू मेरा होय रहे सब जग तेरा होय…का भावार्थ बताते हुए कहा कि मन, वचन और कर्म से प्रभु राम के बन जाएं, जब भक्त भगवान का बन जाता है तो भगवान उस पर सदैव कृपा बरसाते हैं। शास्त्रों में बताया गया है भगत नामदेव ने भगवान का इतने मनोयोग से सुमिरन किया कि भगवान ने उन्हें 72 बार दर्शन दिए। नाम जप का प्रताप ही ऐसा है कि इसे जपनेभर से राम दौडे चले आते हैं। हद्य और आत्मा में परमात्मा को रखेंगे तो वे फल जरूर देंगे। भगवान की भक्ति की पराकाष्ठा संत कबीर और शबरी में देखने को मिलती है। जिन्होंने नाम जप से ही भगवान का आशीर्वाद पाया।
संत बताते हैं मोक्ष प्राप्ति का मार्ग : श्यामदास महाराज
सदगुरु बालकधाम किशनगढ के महंत श्यामदास महाराज ने भी रामभक्तों प्रवचनों से निहाल किया। उन्होंने कहा कि भगवान का नाम जपना यानी ऐसा कार्य करना जो संत करते हैं। संतों का काम प्रवचन के जरिए राम नाम जप और प्रभु की आराधना कराना है। जिस तरह पेड बिना कुछ लिए छाया और फल देता है उसी तरह संत भी जीव को को प्राप्त ज्ञान के जरिए मोक्ष प्राप्ति का मार्ग बताते हैं।
जीव को मनुष्य योनी मोक्ष के लिए मिलती है, इसे सत्संग में लगाए। प्रभु स्मरण के लिए समय निकालें। मन में एक बार राम बस जाएंगे तो जन्मजन्मातार सफल हो जाएगा। दीन दुखियों की सेवा करें, ऐसे काम करें जिससे इस पावन देवभूमि का नाम दुनियाभर में पूजा जाए।उन्होंने भजन मेरे रामजी तेरा सहारा, कहीं छूट जाएगा दामन तुम्हारा…सुनाया।
राम हमारी आत्मा है, हमारे प्राण : ओंकार सिंह लखावत
मुख्य अतिथि ओंकार सिंह लखावत ने कहा कि जिसके पास राम का नाम हो उसे किसी ओर चीज की जरूरत ही नहीं पडती। राम का स्मरण करने वाले को सृष्टि की हर चीज व सुख प्राप्त होता है और संसार से जाने के बाद भगवान की शरण मिलती है।
भारत को देवों की धरती रही है, यहां जन्म लेना पुण्य के समान है। राम हमारी आत्मा है, हमारे प्राण हैं। राम नाम की परिक्रमा करना तो चारों धाम की परिक्रमा करने के समान है। हिन्दुस्तान की आत्मा में राजा राम रचे बसे हैं। हम पर कई आक्रमण हुए, आक्रांताओं ने कुचक्र फैलाए लेकिन कोई भी इस देश से राम को नहीं मिटा सका।
उन्होंने प्रधानमंत्री मोदी के शासन में आने के बाद हुए कार्यो का उल्लेख करते हुए कहा कि भगवान राम के वनवास और अयोध्या वापसी के यात्रा मार्ग में पडने वाले हर मंदिर को विश्वस्तरीय पहचान दिलाने के लिए योजना को स्वीकृति प्रदान की, इस योजना पर काम अनवरत जारी है।
इसी तरह भगवान कृष्ण के मथुरा से लेकर वृंदावन, खाटू श्याम, सांवरियां जी जेसे समस्त मंदिरों का विकास किया जा रहा है। अजमेर के पुष्करराज में सृष्टि के रचियता ब्रह्माजी के मंदिर के लिए मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे ने करोडों रुपए स्वीकृत किए। मेहन्दीपुर बालाजी, खाटू श्याम, डिग्गी कल्याण जी मंदिर, चारभुजा, बेण्श्वर धाम, रामदेव मंदिर में भी विकास कार्य प्रगति पर है।