अजमेर। अबोध बच्चों को गोद में उठाएं माताएं, दादा-दादी का हाथ थामें पोता-पोती, बुजुर्ग माता—पिता को व्हीलचेयर पर बिठाकर परिक्रमा कराते श्रवण कुमार यह नजारा आजाद पार्क अयोध्या नगरी में चल रही 54 अरब हस्त लिखित श्रीराम नाम परिक्रमा महोत्सव में सहज ही नजर आता है। भगवान राम के आदर्श और आचरण की पालन करने का संकल्प लेकर रामभक्त श्रद्धालु 10वें दिन मंगलवार को परिक्रमा में लीन रहे।
सह संयोजक उमेश गर्ग ने बताया कि विश्व में सर्वाधिक विधिवत संकलित हस्तलिखित श्रीराम नामों की परिक्रमा 15 जनवरी तक जारी रहेगी। इच्छुक भक्तजन सुबह 6:15 बजे से परिक्रमा का आनंद ले सकते हैं। मंगलवार सुबह प्रभातफेरी के बाद आरती के साथ परिक्रमा की विधिवत शुरुआत हुई। दोपहर में जय अम्बे महिला मण्डल के अनिता नरचल व साथियों ने सुन्दरकाण्ड पाठ की प्रस्तुति दी। माता के भजनों के दौरान महिला श्रद्धालुओं ने नाचते गाते स्तुति की
प्रभु का हर नाम भवसागर से पार लगाने वाला
सुख का सागर राम है दुख का भंजन हार, रामचरण तजिए नहीं भजिए बारम्बार, राम आतंवाद का भस्मकारी है, सत्य प्रकाशक है, इसे जपने से बढकर कोई ओर सौभाग्य नहीं हो सकता। यह बात अन्तरराष्ट्रीय श्रीरामस्नेही सम्प्रदाय शाहपुरा पीठाधीश्वर के जगदगुरू श्रीरामदयाल महाराज ने 54 अरब हस्तलिखित राम नाम महामंत्र परिक्रमा महोत्सव में मंगलवार को प्रवचन करते हुए कही।
उन्होंने एक कथा का उदाहरण देते हुए कहा कि एक राजा ने महात्मा से पूछा हमारा उद्धार कैसे होगा। प्रभु के तो कई नाम है, आखिर भगवान के किस नाम को जपने से मुक्ति मिलेगी। तब महात्मा ने कहा कि राजन प्रभु के हर नाम में बडी ताकत है। परमात्मा के अननंत रूप और नाम हैं। किसी नाम को जप लो, भवसागर पार हो जाओंगे।
उन्होंने कहा कि योग अर्थ जोडना होता है, हमारी संस्कृति में योग सिखाया है। राम नाम जोडने की संस्कृति है, दो लोग परस्पर मिलते हैं तो राम राम करते हैं। लेकिन न जाने इस राष्ट्र को किसकी नजर लग गई। राम राम की संस्कृति हाय बाय बाय में बदल गई है। कथित लोग इस संस्कृति में नकारात्मक को घोलने में लगे हैं। ये राम का राष्ट्र है, राम दो शब्द से मिलकर बना है रा और म, रा का अर्थ राष्ट्र और म का अर्थ मंगल है।
राम नाम जाग्रत करता है। नाम के मर्म को जिसने जाना वह भवसागर पार हो गया। सनातन धर्म में शवयात्रा के दौरान श्मशान स्थल तक राम नाम भजा जाता है। शव यात्रा के दौरान सिर्फ मुर्दा राम नाम जपता। जो राम को सत्य नहीं मानता वह जीते जी मुर्दे के समान है। साधुओं, सतियों, जर्रे जर्रे में परमात्मा है। धर्म का काम करे वह पुण्यात्मा है।
उन्होंने कहा आज समूचा विश्व आतंकवाद से थर्रा रहा है, हमारा देश भी खून से लथपथ हो रहा है। यह बहुत गंभीर विषय है। कलयुग में प्रभु नाम की शरणागत ही सर्वोत्तम है। कलयुग के चलते इंसान स्वार्थ प्रधान और अर्थप्रधान हो गया है। सनातन धर्म के पूर्व के समय को देखेें तो एक दिन ऐसा था, घर का परिवार का एक सदस्य शाम तक समय पर घर नहीं लौटे तो बाकी लोग साथ भोजन के लिए उसका इंतजार करते थे।
आज लोग हर बात में कहते हैं समय कम है, जबकि मेरा मानना है कि समय नहीं लोगों के पास समझ कम हो गई है। समय के अभाव में परिवार और समाज को कभी नहीं तोडा, टूटन तो समझ के अभाव में होती है। जिस दिन समय के साथ समझ का संगम हो जाएगा उस दिनसे सब कुछ उत्तम होगा।
उन्होंने उपस्थित रामभक्तों को संकल्प कराया कि इस देश से भ्रुण हत्या हत्या जैसा कलंक मिटाना है। सनातन धर्मप्रेमियों को भ्रुण हत्या जैसे पाप से बचना है। धर्म, संस्कृति और चरित्र ही भारत देश की पहचान है। यह संतों का राष्ट्र है, प्रभु का राष्ट्र है। सनातन धर्मप्रेमियों का राष्ट्र है। हम परिवार और राष्ट्र को जोडेंगे यह प्रण लें। धर्म, संविधान और नियमों का पालन करें।
उन्होंने पडोसी देश पाकिस्तान को आडे हाथों लेते हुए कहा कि जिस तरह वहां भारत मां के सपूत कुलभूषण यादव की मां और पत्नी को अपमानित किया गया वह अक्ष्म्य है। बेटे और मां तथा पत्नी के मिलन के बीच कांच की दीवार खडी की गई। यह कृत्य कभी धर्म नहीं है।
प्रवचन और मार्गदर्शन सत्र में रामस्नेही सम्प्रदाय की संध्या आरती के बाद श्वेता गर्ग ने गुरुवर को समर्पित भजन राम तुम बडे दयालू हो, नाथ तुम बडे दयालू हो, तेरा यश गाया वेदों ने पार नहीं पाया वेदों ने …की प्रस्तुति दी। इस अवसर पर जगतगुरु के साथ आए संत जगवल्लभराम, संत बोलताराम, संत सेवाराम और संत पप्पूरामजी का भक्त्जनों की ओर से नीतेश गर्ग और उमेश गर्ग ने स्वागत किया।
पत्रकारों और राम नाम साधकों का सम्मान
समाजसेविका सुश्री कृति शर्मा और दैनिक नवज्योति के वरिष्ठ पत्रकार नरेन्द्र भारद्वाज व दैनिक भास्कर के विजय शर्मा का सम्मान किया गया। 84 लाख बार श्रीराम नाम का हस्तलेखन करने वाले राजेश अग्रवाल, प्रेमलता टांक, हीरा कंवर, चन्द्रकांता विजय, मूल शंकर, रजनी चौहान का श्रीराम नाम धन संग्रह बैंक की ओर से प्रशस्तिपत्र देकर बहुमान किया गया।
महाआरती के दौरान समिति के सह संयोजक कंवलप्रकाश किशनानी, उमेश गर्ग, रमेशचंद अग्रवाल, गोपाल गोयल कांच वाले, नितेश गर्ग, ओमप्रकाश, पूनम मारोठिया, शुभम गोयल, रमेश तापडिया, अशोक टांक समेत बडी संख्या में रामभक्त मौजूद थे। शंकरलाल बंसल, शिवशंकर फतेहपुरिया, रमाकान्त बाल्दी और राधेश्याम गर्ग यजमान रहे।
देर शाम भगवान राम को समर्पित श्री सर्वेश्वर संकीर्तन मण्डल द्वारा ‘एक शाम किशोरी जी के नाम’ में श्रीजी महाराज के कृपापात्र अशोक तोषनीवाल ने प्रस्तुतियां दीं।
बुधवार 10 जनवरी के प्रस्तावित कार्यक्रम
मध्यान्ह 2ः30 बजे तुलसी जयंती समारोह समिति की उषा गुप्ता व साथियों की ओर से सुन्दरकाण्ड पाठ होगा। शाम 5ः30 बजे वैशाली नगर स्थित प्रेमप्रकाश आश्रम के ओमप्रकाश शास्त्री प्रवचनों से श्रृद्धालुओं को निहाल करेंगे। इसके बाद उत्कृष्ठ कार्य करने वाले समाजसेवियों आदि का सम्मान होगा। महाआरती के बाद शाम 7ः30 बजे तानसेन संगीत महाविद्यालय की ओर से भगवान राम को समर्पित ‘इन्द्रधनुष’ कार्यक्रम की प्रस्तुति दी जाएगी। इस कार्यक्रम में विजय गुप्ता, सरदारमल जैन, जितेन्द्र खण्डेलवाल, राधाकिशन आहूजा और रमेश चेलानी यजमान रहेंगे।