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Ram Nath Covind expressed concern over the waste of food items - खाद्य पदार्थों की बर्बादी पर राष्ट्रपति राम नाथ कोविंद ने व्यक्त की चिन्ता - Sabguru News
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खाद्य पदार्थों की बर्बादी पर राष्ट्रपति राम नाथ कोविंद ने व्यक्त की चिन्ता

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खाद्य पदार्थों की बर्बादी पर राष्ट्रपति राम नाथ कोविंद ने व्यक्त की चिन्ता
Ram Nath Covind expressed concern over the waste of food items
Ram Nath Covind expressed concern over the waste of food items
Ram Nath Covind expressed concern over the waste of food items

नयी दिल्ली । राष्ट्रपति राम नाथ कोविंद ने खाद्य पदार्थों की बर्बादी पर चिन्ता व्यक्त करते हुए गुरुवार को कहा कि फसलों के तैयार होने के बाद होने वाले नुकसान को बेहतर प्रौद्योगिकी के प्रयोग से रोका जाना चाहिए।

कोविंद ने यहां आल इंडिया फूड प्रोसेसर्स एसोसिएशन के प्लेटिनम जुबली सम्मेलन को सम्बोधित करते हुए भोजन की बर्बादी पर चिन्ता व्यक्त की और कहा कि बेहतर तरीकों के उपयोग और वितरण से इसे रोका जा सकता है।

उन्होंने कहा कि देश में खाद्यान्न की कमी नहीं है लेकिन इसकी बर्बादी नैतिक तौर पर ठीक नहीं है। उन्होंने इसी प्रकार फसलों के तैयार होने के बाद होने वाले नुकसान पर भी चिन्ता व्यक्त करते हुए कहा देश में इससे सालाना एक लाख करोड़ रुपये की क्षति होती है।

उन्होंने इसे एक त्रासदी करार देते हुए कहा कि आधारभूत सुविधाओं और भंडारण के अभाव में यह नुकसान होता है। इस क्षति को रोकने में खाद्य प्रसंस्करण उद्योग महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है।

राष्ट्रपति ने खाद्य प्रसंस्करण के क्षेत्र में आधारभूत सुविधाओं के विकास तथा कोल्ड चेन की स्थापना के लिए निवेश पर जोर देते हुए कहा कि सरकार इस दिशा में कदम उठा रही है । देश में 42 मेगा फू पार्क की स्थापना का निर्णय लिया गया है जिनमें से कई में कामकाज शुरु हो गया है । इसके साथ ही 274 काेल्ड चेन में से 129 चालू हो गया है। प्रधानमंत्री किसान सम्पदा योजना के माध्यम से भी फसलों के नुकसान को कम करने का प्रयास किया गया है।

कोविंद ने कहा कि बदलती जीवन शैली और स्वास्थ्य के प्रति जागरुकता को देखते हुए लोग प्रसंस्कृत खाद्य वस्तुओं की ओर आकर्षित होने लगे हैं। ऐसी वस्तुओं की पैकेजिंग में आधुनिक प्रौद्योगिकी का उपयोग किया जाना चाहिए जो जैविक रूप से नष्ट हो सकें। उन्होंने कहा कि देश में खाद्य सुरक्षा को ध्यान में रखकर 190 खाद्य जांच प्रयोगशालाओं की स्थापना की गयी है।

उन्होंने जल्दी खराब होने वाली वस्तुओं को बचाने के लिए छोटे-छोटे कोल्ड स्टोरेज के निर्माण पर जोर दिया और कहा कि इसका निर्माण इस प्रकार से किया जाना चाहिए जिससे वे सौर ऊर्जा से चलाये जा सकें। उन्होंने छोटे से छोटे स्तर पर प्रसंस्करण सुविधा का विस्तार करने पर जोर देते हुए कहा कि साधारण परिवारों में अचार और कुछ अन्य खाद्य वस्तुओं का उत्पादन हो सकता है।

इस अवसर पर खाद्य प्रसंस्करण उद्योग मंत्री हरसिमरत कौर बादल ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने खाद्य प्रसंस्करण के महत्व को देखते हुए अलग मंत्रालय बना रखा है। पिछले पांच साल के दौरान इस उद्योग में पांच लाख लोगों को रोजगार मिला है और देश में सालाना एक लाख चार हजार टन प्रसंस्करण क्षमता का विस्तार किया गया है।

उन्होंने कहा कि देश में कृषि के कुल उत्पादन के केवल 10 प्रतिशत हिस्से का ही प्रसंस्करण हो पाता है। इस उद्योग की स्थापना में की बाधाओं को काफी हद तक दूर किया गया है और बड़े पैमाने पर विदेशी निवेश आये हैं। उन्होंने कहा कि दुनिया की बढ़ती आबादी के लिए भोजन एक चुनौती है और इस चुनौती का मुकाबला करने के लिए लोग भारत, चीन अौर मलेशिया की ओर देख रहे हैं।

इस अवसर पर एसोसिएशन के अध्यक्ष सुबोध जिंदल ने कहा कि उनके संगठन का उद्देश्य देश को खाद्य उद्योग का विश्व बाजार बनाना है और अंतिम रुप से किसानों और महिलाओं को शक्तिशाली बनाना तथा रोजगार सृजित करना है।