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लोजपा संस्थापक रामविलास पासवान पंचतत्व में हुए विलीन - Sabguru News
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लोजपा संस्थापक रामविलास पासवान पंचतत्व में हुए विलीन

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लोजपा संस्थापक रामविलास पासवान पंचतत्व में हुए विलीन

पटना। भारतीय राजनीति के ‘अजातशत्रु’ लोक जनशक्ति पार्टी (लोजपा) के संस्थापक रामविलास पासवान आज पंचतत्व में विलीन हो गए।

‘रामविलास पासवान अमर रहें, जब तक सूरज चांद रहेगा रामविलास पासवान का नाम रहेगा, गूंजे धरती आसमान रामविलास पासवान और चिराग पासवान मत घबराना तुम्हारे पीछे सारा जमाना’ के गगनभेदी नारों के बीच पूरे राजकीय सम्मान के साथ पासवान का अंतिम संस्कार यहां दीघा में गंगा नदी के किनारे जनार्दन घाट पर किया गया। उनके पुत्र चिराग पासवान ने उन्हें मुखाग्नि दी। मुखाग्नि के बाद भावुक चिराग पासवान बेसुध होकर गिर पड़े, बाद में उनके चचेरे भाइयों ने उन्हें किसी तरह संभाला।

इस मौके पर अपने चहेते नेता को अंतिम विदाई देने के लिए बड़ी संख्या में आम लोगों के अलावा मुख्यमंत्री नीतीश कुमार, उपमुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी, केंद्रीय संचार और कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद, केंद्रीय पशुपालन मंत्री गिरिराज सिंह, केंद्रीय गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय, केंद्रीय स्वास्थ्य राज्य मंत्री अश्विनी कुमार चौबे, बिहार के पथ निर्माण मंत्री नंदकिशोर यादव और स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडेय, नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी प्रसाद यादव समेत कई दलों के सांसद, विधायक, पूर्व सांसद और पूर्व विधायक मौजूद थे।

इससे पहले सेना के जवानों ने हवाई फायरिंग और मातमी धुन बजाकर जबकि बिहार पुलिस के जवानों ने शस्त्र उल्टा कर पासवान को सलामी दी। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार समेत अन्य नेताओं और पासवान के परिजनों ने पुष्प अर्पित कर उन्हें श्रद्धांजलि दी। इस मौके पर बिहार के अलग-अलग हिस्सों से पासवान के समर्थक हाथों में एक-एक लकड़ी लेकर आए थे, जिसे उन्होंने बाद में चिता पर रखी।

कोरोना महामारी के बावजूद अपने प्रिय नेता के अंतिम दर्शन के लिए बड़ी संख्या में लोग जनार्दन घाट पर जुटे थे। घाट पर उमड़े जनसैलाब को नियंत्रित करने के लिए सेना के जवानों और पुलिस को काफी मशक्कत करनी पड़ी। सभी ने नम आंखों से अपने प्रिय नेता को विदाई दी।

इससे पूर्व श्री पासवान की अंतिम यात्रा उनके एस. के. पुरी स्थित आवास से जब शुरू हुई तब उसमें सैकड़ों लोग शामिल हो गए। उनकी यात्रा में शामिल होने के लिए उनके संसदीय क्षेत्र हाजीपुर से ही नहीं बल्कि बिहार के अलग-अलग हिस्से के साथ ही केरल, झारखंड, उत्तर प्रदेश, दिल्ली, पंजाब, पश्चिम बंगाल और राजस्थान समेत देश के भी कई हिस्से से लोग पहुंचे थे।

आज सुबह पासवान का पार्थिव शरीर एसके पुरी स्थित उनके आवास पर अंतिम दर्शन के लिए रखा गया था, जहां बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री जीतनराम मांझी और पूर्व केंद्रीय मंत्री रामकृपाल यादव समेत कई बड़े नेता पहुंचे थे। इस दौरान चिराग पासवान बेहद भावुक दिखे और यादव को देखते ही वह फफक-फफक कर रो पड़े। यादव भी अपने आंसू नहीं रोक पाए। वहां मौजूद लोगों ने दोनों को किसी तरह संभाला।

घर के बाहर भी माहौल बेहद गमगीन था। अपने प्रिय नेता के अंतिम दर्शन के लिए पहुंचे लोग अपनी भावनाओं को रोक नहीं पा रहे थे। कई लोगों को फूट-फूटकर रोते देखा गया। उनके लिए यह विश्वास कर पाना मुश्किल हो रहा था कि उनके प्रिय नेता अब इस दुनिया में नहीं रहे।

आखिर अकेली पड़ ही गई राजकुमारी

राजनीति के शह-मात के खेल में संबंधों पर भरोसे की हर पल उड़ती धज्जियों के विपरीत केंद्रीय मंत्री रामविलास पासवान और उनकी पहली पत्नी राजकुमारी का रिश्ता भी है जो तलाक जैसे कानूनी हथौड़े से नहीं टूटता, वह दूर रहकर भी सुहाग की सलामती की दुआ करता है, ‘पति’ को बुलंदियों पर देखने की ताउम्र फरियाद करता है लेकिन जब ‘परमेश्वर’ हमेशा के लिए छोड़ जाता है तो दबे जज्बात का चट्टान दरकता भी है, टूटता भी है और पिघलकर आंसुओं में बह भी जाता है।

ऐसा ही कुछ आज स्व. रामविलास पासवान के पटना में श्रीकृष्णपुरी स्थित आवास पर भी दिखा। हमेशा के लिए विदा हो रहे पति को देखने पहुंची राजकुमारी देवी बेसुध थीं लेकिन आंखों से आंसुओं की धार रुक नहीं रही थी। दो महिलाएं उन्हें सहारा देकर घर के अंदर ले गईं। उन्होंने निष्प्राण पति के पार्थिव शरीर को अंतिम विदाई दी।

बताया गया कि गुरुवार को पासवान के निधन की खबर मिलने के बाद से ही वह लगातार रो रही हैं। न भूख न प्यास, बस हर पल अपने पति के लिए बिलखती रहीं। शहरबन्नी से पटना आने के दौरान पानी तक नहीं पिया। ज्यादातर समय अचेत रहीं, जब भी होश में आईं दहाड़े मार मारकर रोने लगीं।

पासवान की पहली शादी महज चौदह साल की उम्र में वर्ष 1960 के आसपास ग्रामीण पृष्ठभूमि से ताल्लुक रखने वालीं राजकुमारी देवी से हुई थी। लगभग 21 वर्ष के बाद 1981 में पासवान ने उन्हें तलाक दे दिया लेकिन राजकुमारी देवी पति का पैतृक घर छोड़कर कभी नहीं गईं। वह हमेशा खगड़िया जिले के शहरबन्नी गांव में ही रहीं।

राजकुमारी देवी पर भले ही केंद्रीय मंत्री की चमक धमक का असर न पड़ा हो लेकिन पति की सलामती के लिए हमेशा उनकी मांग का सिंदूर चमकता रहा। पति से दूर रहकर भी वह हमेशा अपनी सुहाग की सलामती के लिए दुआ करती रहीं।