रमा एकादशी | एकादशी का व्रत इस लोक के मनुष्य को बुरे कर्मों के फल से मुक्ति देता है। कार्तिक कृष्ण पक्ष की रमा एकादशी बड़े-बड़े पापों का नाश करने वाली है, इसके महत्व की कथा इस प्रकार है।
पौराणिक युग में मुचुनंद नामक एक राजा था , वह सत्यवादी तथा विष्णु का परम भक्त था। उसकी एक कन्या चंद्रभागा भी थी जिसका विवाह राजा चंद्रसेन के पुत्र सोभन के साथ हुआ। चंद्रभागा एकादशी का व्रत रखती थी लेकिन सोभन शारीरिक रूप से कमजोर था वह व्रत नहीं रख सकता था। पत्नी के कहने पर सोभन ने व्रत किया किंतु भूख प्यास ना सहन करने के कारण अगले दिन प्रातः सोभन इस संसार से चल बसा।
एकादशी के प्रभाव से सोभन को एक उत्तम नगर प्राप्त हुआ जहां सब कुछ स्वर्ण रतन जड़ित था। एक बार चंद्र भागा के राज्य का एक ब्राह्मण भ्रमण को निकला उसने सोभन का राज्य देखा, सोभन ने उसे बताया एकादशी के प्रभाव से उसे यह राज्य मिला है लेकिन यह स्थिर नहीं है । मेरी पत्नी एकादशी के व्रत रखती है उसे कहना अपने व्रत के प्रभाव से वह मेरा राज सि्थर कर देगी। अपने एकादशी के प्रभाव से चंद्रभागा ने अपने पति का राज्य को यथार्थ कर दिया और दिव्य रूप धारण कर आनंद पूर्वक अपने पति के साथ रहने लगी।
यह चतुर्मास की अंतिम एकादशी है , भगवान विष्णु की पत्नी देवी लक्ष्मी जिनका एक नाम रमा भी है उन्हें यह एकादशी अत्यधिक प्रिया है इसीलिए इसे रमा एकादशी कहा जाता है ।
इस व्रत के पुण्य से मनुष्य सुख प्राप्त कर उत्तम लोक में स्थान प्राप्त करता है।
Date: 24 October 2019
Vedic lunar month: Kartik
Paksha: Krishna paksha
Gregorian month: October – November
Presiding deity: Damodara