जगदलपुर । राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद कल से छत्तीसगढ के बस्तर के दो दिवसीय प्रवास पर रहेंगे। कोविंद बस्तर आने वाले चौथे राष्ट्रपति होंगे। यहां आने वाले देश के पहले राष्ट्रपति डॉ. राजेन्द्र प्रसाद थे। उनके बाद डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम और प्रतिभा पाटिल ने राष्ट्रपति के रूप में बस्तर का दौरा किया है।
आजादी के बाद देश के शीर्ष पद पर रहते हुए डॉ राजेंद्र प्रसाद 23 मार्च 1953 को बस्तर आए थे और उन्होंने जगदलपुर जिला मुख्यालय से 15 किलोमीटर दूर राष्ट्रीय राजमार्ग स्थित ग्राम बस्तर में नेहरू बालक छात्रावास भवन का लोकार्पण किया था। उनके साथ मध्यप्रदेश के तत्कालीन मुख्यमंत्री पंडित रविशंकर शुक्ला भी थे। अपनी सभा में डॉ. राजेन्द्र प्रसाद ने हिंदी में भाषण दिया था, जिसका बस्तर में कांग्रेस के वरिष्ठ नेता रहे पंडित सूर्यपाल तिवारी ने स्थानीय बोली हल्बी में अनुवाद किया था।
मिसाइलमैन के नाम से प्रसिद्ध वैज्ञानिक और पूर्व राष्ट्रपति डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम चार जून 2004 को बस्तर आए थे। यहां उन्होंने तोकापाल ब्लाक के ग्राम रानसरगीपाल में जनसभा को संबोधित किया था। युवा शक्ति और देश की तरक्की पर आधारित उनके अंग्रेजी में दिए भाषण का ग्रामीणों के लिए हिंदी में अनुवाद किया गया था। उन्होंने बस्तर और बस्तरिया संस्कृति की जमकर तारीफ की थी। उस सभास्थल का अब रानसरगीपाल के लोगों ने राष्ट्रपति पारा के तौर पर नामकरण कर दिया है।
राष्ट्रपति के रूप में बस्तर आने वाली प्रतिभा पाटिल तीसरी शख्सियत थीं। वे अपने परिवार के साथ 29 सितंबर 2008 को बस्तर प्रवास पर आईं थीं। उस समय हालांकि चित्रकोट जलप्रपात उफान पर नहीं था, फिर भी देश के सबसे चौड़े इस जलप्रपात और इसके आसपास के प्राकृतिक नजारे से श्रीमती पाटिल इतनी प्रभावित हुईं कि काफी देर तक वह मंत्रमुग्ध होकर इसे निहारती रही थीं।