सिरोही। आरएसएस के अनुषांगिक संगठन विश्व हिन्दू परिषद और बजरंग दल से प्रेरित होकर बनाई गई सिरोही जिला मुख्यालय पर गठित रामनवमी महोत्सव समिति ने सिरोही विधायक संयम लोढ़ा के द्वारा दी गई सहयोग राशि आज लौटा दी।
संयम लोढ़ा के प्रतिनिधियों ने रामनवमी महोत्सव समिति को एक लाख रुपए की सहयोग राशि शनिवार को दी थी। रात को निजी विद्यालय में हुई बैठक में समिति ने यह निर्णय लिया कि ये राशि उन्हें लौटाई जाए। इसके बाद रविवार को यह राशि संयम लोढ़ा के प्रतिनिधियों को लौटा दी गई। इसके बाद सोशल मीडिया पर इसको लेकर चर्चा तेज हो गई।
ये लगाया आरोप
समिति के सदस्यों के द्वारा व्हाट्स एप पर वायरल संदेश में संयम लोढ़ा पर हिन्दू विरोधी होने का आरोप लगाते हुए यह राशि लौटाने का हवाला दिया है। इसमें हवाला दिया गया है कि हिन्दू समाज की आम सभा में विधायक संयम लोढ़ा के द्वारा कथित रूप से हिन्दू विरोधी कुकृत्यों के विरोध में हिन्दू समाज के रोष को देखते हुए एक सुर में उक्त राशि को लोटाने का निर्णय किया गया। इस संदेश में बताया गया कि किसी भी हिन्दू विरोधी बयानबाजी करने वाले की समर्पण राशि स्वीकार नहीं की जाएगी।
संयम समर्थकों का हमला, समिति के लोग हिन्दू समाज कैसे?
समिति से जुड़े लोगों के द्वारा सहयोग राशि लौटाने के बाद संयम लोढ़ा समर्थकों ने समिति को ही घेर लिया। सोशल मीडिया पर वायरल संदेश में उन्होंने पूछा कि मुट्ठी भर लोग सिरेाही शहर के तीस हजार हिन्दुओं के प्रतिनिधि कैसे हैं ये आयोजन राजनीतिक संगठन का है या हिन्दू समाज का? इसमें पूछा कि जब आयोजन शहर का है तो चंद लोगों को निर्णय लेने का हक किसने दिया?
इस संदेश में इस निर्णय को सीधे तौर पर संघ के हस्तक्षेप से जोड़ते हुए ये सवाल दागा कि जब समिति ने राशि स्वीकार की तब क्या उन्होंने आपस में चर्चा की थी संघ के वरिष्ठ लोगों की सहमति नहीं थी और अगर बिना सहमति के राशि स्वीकार की गई तो उन पदाधिकारियों को समिति से बाहर क्यों नहीं किया गया? समिति पर ओछी राजनीति करने का अरोप लगाया। इसमें ये भी आरोप लगाया कि रसीद को समिति के सदस्यों ने सोशल मीडिया पर वायरल किया।
रसीद बता रही है कि समिति के प्रेरणा स्रोत कौन?
सोशल मीडिया पर रामनवमी महोत्सव समिति की संयम लोढ़ा की सहयोग राशि की वायरल रसीद स्पष्ट कर दे रही है कि आयोजन के प्रेरणा स्रोत कौन और कार्यक्रम राजनीतिक है या गैर राजनीतिक। जो रसीद वायरल हो रही है उसमें श्रीरामनवमी महोत्सव समिति के नाम के ठीक नीचे बे्रकेट में विश्व हिन्दू परिषद और बजरंग दल से प्रेरित लिखा हुआ। ये दोनों ही संगठन आरएसएस के अनुशांगिक संगठन है। ऐसे में संयम लोढ़ा के समर्थकों का ये सवाल उठाया है कि ये समिति और कार्यक्रम धार्मिक है या राजनीतिक।
आरएसएस पर विधानसभा में उठाए थे सवाल
समिति के सदस्यों के द्वारा जो संदेश वायरल किया गया है उसमें ये आरोप लगाया गया है कि संयम लोढ़ा ने हिन्दू विरोधी बयानबाजी की वजह से ऐसा किया गया है। लेकिन, इस संदेश में किसी भी हिन्दू विरोधी बयान का जिक्र नहीं किया गया है। हां, विधानसभा में नवम्बर 2019 में विधानसभा के विशेष सत्र में संयम लोढ़ा ने आरएसएस पर सीधा हमला करते हुए आरोप लगाया था कि आरएसएस के मुखपत्र ने संविधान को खारिज करके मनुस्मृति लागू करने की पैरवी की थी। वर्तमान बजट सत्र में तो सीधे तौर पर सिरोही के आदर्श घोटाले में संघ के लोगों के जुड़ाव का आरोप लगा दिया।
इतना ही नहीं इसी सत्र में उन्होंने आरएसएस से जुड़े सरूपगंज की आदर्श शिक्षा समिति के आदर्श विद्या मंदिर की मान्यता नहीं रद्द करने को लेकर भी प्रशासन को आड़े हाथों लिया था। वैसे समिति सदस्यों का ये आरोप 2018 में सिरोही के ही शांति नगर में संत अवधेशानंद की हत्या के मामले में अवश्य सत्य माना जा सकता है जिस प्रकरण में संयम लोढ़ा जिक्र करते नजर नहीं आते हैं। तो भाजपा के मूल संगठन आरएसएस पर बयानबाजी हिन्दूओं पर बयानबाजी कैसे हो गई? इसलिए लोढ़ा समर्थकों ने ये आरोप लगाया कि समिति से जुड़े सदस्य एक ही राजनीतिक संगठन से जुड़े हुए हैं।
एक सवाल तो ये भी बनता है
संयम लोढ़ा जिले के एक ऐसे नेता माने जाते हैं जिनके समर्थक उनकी सहमति के बिना एक कदम भी उठा नहीं सकते। तो ऐसे में सवाल ये उठता है कि क्या महोत्सव समिति को दी गई राशि की रसीद को उनके समर्थक स्वेच्छा से वायरल करके लोढ़ा की साख को चोट पहुंचा रहे थे? सवाल ये भी है कि क्या संयम लोढ़ा ने पिछले साढ़े चार सालों में सिर्फ रामनवमी महोत्सव समिति को ही सहयोग और समर्पण राशि दी है किसी दूसरे आयोजन या कार्यक्रम को नहीं? यदि उन्होंने दी है तो इससे पहले दी गई समर्पण राशियों की रसीदें उनके समर्थकों के द्वारा इस तरह से वायरल क्यों नहीं की गई?
दूध का जला छाछ को फूंक रहा!
संयम लोढ़ा समर्थकों का ये आरोप है कि आयोजन समिति के लोग इसी महीने के शुरू में सिरोही में हुई गौ यात्रा की सभा की घटना से सहमे हुए हैं। इस सभा का आयोजन आरएसएस के पदाधिकारियों के हाथ मेें था। इसमें संघ के जिले के अधिकांश प्रमुख पदाधिकारी मौजूद थे। इसके बावजूद मुख्य वक्ता दत्त शरणानंद समेत अन्य वक्ताओं ने संयम लोढ़ा का गायों के लिए किए गए कार्यों का सराहा। वहीं भाजपा सरकार में हुई घटना की कमी को बताया। ऐसे में लोढ़ा समर्थक ये आरोप लगा रहे हैं कि उस घटना के बाद इस कार्यक्रम में भी संयम लोढ़ा अपने कार्यों से पानी नहीं फेर देवें इस वजह से सहयोग राशि लौटाई है।