Warning: Constant WP_MEMORY_LIMIT already defined in /www/wwwroot/sabguru/sabguru.com/18-22/wp-config.php on line 46
Ranil Wickremesinghe to take oath as sri lankan PM on Sunday-रानिल विक्रमसिंघे रविवार को लेंगे प्रधानमंत्री पद की शपथ - Sabguru News
होम World Asia News रानिल विक्रमसिंघे रविवार को लेंगे प्रधानमंत्री पद की शपथ

रानिल विक्रमसिंघे रविवार को लेंगे प्रधानमंत्री पद की शपथ

0
रानिल विक्रमसिंघे रविवार को लेंगे प्रधानमंत्री पद की शपथ
Ranil Wickremesinghe to take oath as sri lankan PM on Sunday
Ranil Wickremesinghe to take oath as sri lankan PM on Sunday
Ranil Wickremesinghe to take oath as sri lankan PM on Sunday

कोलंबो। श्रीलंका में यूनाइटेड नेशनल पार्टी के नेता रानिल विक्रमसिंघे रविवार को फिर से प्रधानमंत्री पद की शपथ लेंगे।

राष्ट्रपति मैत्रीपाला सिरिसेना ने 50 दिन पहले ही विवादास्पद परिस्थितियों में विक्रमसिंघे काे प्रधानमंत्री पद से बर्खास्त कर दिया था और उनके स्थान पर पूर्व राष्ट्रपति महिंदा राजपक्षे को प्रधानमंत्री नियुक्त कर दिया था। दो माह से जारी राजनीतिक उथल-पुथल के बीच शनिवार को प्रधानमंत्री महिंदा राजपक्षे ने आखिरकार अपने पद से इस्तीफा दे दिया।

विक्रमसिंघे के प्रधानमंत्री बनने के साथ ही देश में जारी राजनीतिक संकट समाप्त होने की संभावना है। इसे ना केवल विक्रमसिंघे की जीत के तौर पर देखा जा रहा है बल्कि सिरिसेना की हार के रुप में भी माना जा रहा है।

पार्टी सूत्रों ने शनिवार को बताया कि राजपक्षे के इस्तीफे के बाद विक्रमसिंघे और सिरिसेना के बीच विचार-विमर्श के बाद ताजी गतिविधियां हुई। सिरिसेना ने गत गुरुवार को संसद के अध्यक्ष कारु जयसूरिया और विक्रमसिंघे के साथ बैठक की थी जिसमें विक्रमसिंघे को फिर से प्रधानमंत्री बनाने पर सहमति हुई थी।

यूएनपी के वरिष्ठ सांसद रजिथा सेनारत्ने ने कहा कि विक्रमसिंघे रविवार सुबह 10 बजे प्रधानमंत्री पद की शपथ लेंगे। स्थानीय रिपोर्टाें के मुताबिक नए मंत्रिमंडल का सोमवार को गठन कर लिया जाएगा। नए मंत्रिमंडल में श्रीलंका फ्रीडम पार्टी के छह सदस्यों समेत कुल 30 सदस्य शामिल होेंगे।

गौरतलब है कि राष्ट्रपति मैत्रीपाला सिरिसेना ने तत्कालीन प्रधानमंत्री राानिल विक्रमसिंघे काे हटाकर उनके स्थान पर राजपक्षे को 26 अक्टूबर को नियुक्त किया था लेकिन इसके बाद देश में अभूतपूर्व संकट उत्पन्न हो गया था।

सिरिसेना के इस आदेश पर संसद के अध्यक्ष कारू जयसुरिया ने आधिकारिक तौर पर कहा था कि सदन में बहुमत साबित होने के बाद ही कानूनी तौर पर राजपक्षे को प्रधानमंत्री के तौर पर स्वीकार किया जाएगा। लेकिन जब संसद ने राजपक्षे का समर्थन नहीं किया तो सिरिसेना ने नौ नवंबर को संसद को ही भंग कर दिया तथा अगले वर्ष पांच जनवरी को संसदीय चुनाव कराने की घोषणा की।

राजपक्षे की नियुक्ति को लेकर सुप्रीम कोर्ट में भी चुनौती दी गई थी तथा किसी भी देश ने उन्हें प्रधानमंत्री का दर्जा देने से इंकार कर दिया था। वह संसद में भी अपना बहुमत साबित करने में भी विफल रहे।

सिरिसेना के नौ नवंबर के उस आदेश के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में 13 याचिकाएं दाखिल की गईं जिसमें 225 सदस्यीय संसद को निर्धारित समयावधि से 20 माह पहले ही भंग करने तथा चुनाव के लिए पांच जनवरी की तारिख निर्धारित करने को कहा गया था।

सुप्रीम कोर्ट ने 13 नवंबर को अपने अंतरिम आदेश में सिरिसेना की सरकारी अधिसूचना को अस्थाई तौर पर गैरकानूनी ठहराते हुए चुनाव की तैयारियों पर रोक लगा दी थी। न्यायालय ने कहा कि संसद को भंग करने संबंधी सरकारी अधिसूचना संविधान के अनुरूप नहीं है। गत सप्ताह इस मामले पर सुनवाई समाप्त हुई तथा न्यायालय ने अपना फैसला सुरक्षित रखा है।