जयपुर। राजस्थान विधानसभा उपाध्यक्ष राव राजेन्द्र सिंह ने विधायक मानवेन्द्र सिंह के कांग्रेस में शामिल हो जाने को कार्यकर्ताओं का अपमान करार देते हुए कहा है कि इससे भारतीय जनता पार्टी पर कोई असर नहीं पड़ेगा।
ऐसा माना जा रहा है कि मानवेन्द्र सिंह के कांग्रेस में शामिल होने से पश्चिम राजस्थान में भाजपा को आगामी विधानसभा चुनाव में काफी मशक्कत करनी पड़ेगी।
लेकिन राव ने कहा कि उनके कांग्रेस में जाने से भाजपा के कार्यकर्ताओं का मनोबल नहीं टूटेगा और वे पार्टी के लिए अपने उसी रुप में काम करते रहेंगे। उन्होंने कहा कि मानवेन्द्र सिंह का कांग्रेस की सदस्यता ग्रहण करने का कदम उन हजारों कार्यकर्ताओं के परिश्रम का अपमान हैं जिन्होंने मेहनत कर सांसद और विधायक बनाकर राष्ट्र स्तर तक उनकी पहचान बनाई। उन्होंने कहा कि पार्टी में एक व्यक्ति का कोई महत्व नहीं होता और न ही वह पार्टी से बड़ा होता हैं।
उन्होंने कहा कि जो लोग पार्टी छोड़कर जाते हैं वे यह समझते हैं कि वे पार्टी से बड़े है लेकिन भाजपा का ऐसा चरित्र नहीं हैं।
मानवेन्द्र सिंह के कांग्रेस में चले जाने से आगामी विधानसभा में उनके क्षेत्र में भाजपा को नुकसान होने के सवाल पर उन्होंने कहा कि किसी जाति को वोट बैंक करार देना, यह उसका अपमान हैं। उन्होंने कहा कि भाजपा किसी को वोट बैंक के रुप में नहीं देखती और नहीं जातिगत आधार पर पार्टी में किसी को महत्व मिलता हैं।
उन्होंने एक प्रश्न पर कहा कि पार्टी से किसी के चले जाने पर दुख तो होता है कि वह पार्टी कार्यकर्ताओं को दरकिनार कर अन्य दल में चला जाता है। पार्टी एक या दो व्यक्ति से नहीं चलती, यह गलतफहमी और निराधार है।
कांग्रेस नेताओं के भाजपा नेताओं की कांग्रेस में आने के लिए लाईन लगी होने के बयान पर उन्होंने कहा कि जो कांग्रेस में जाने के लिए आतुर है वह हमारा नेता नहीं हैं।
उल्लेखनीय है कि भाजपा के संस्थापक सदस्य एवं पूर्व केन्द्रीय विदेश मंत्री जसवंत सिंह के पुत्र विधायक मानवेन्द्र सिंह आज कांग्रेस में शामिल हो गये। वह सीमांत बाड़मेर जिले के शिव विधानसभा क्षेत्र से भाजपा प्रत्याशी के रुप में विधायक निर्वाचित हुए थे।
पिछले लोकसभा चुनाव में अपने पिता जसवंत सिंह को टिकट नहीं दिए जाने से आहत चल रहे सिंह ने उस समय भाजपा को झटका दिया है जब पार्टी को चुनाव में मजबूत नेताओं की जरुरत है।
बाड़मेर से दो बार सांसद रहे उनके पिता क्षेत्र के राजपूत समाज में काफी दबदबा रहा है तथा मानवेन्द्र पहली बार विधान सभा चुनाव में उतरे और शिव विधान सभा क्षेत्र से जीत हासिल की। इसके बाद पार्टी से उनकी नाराजगी चलती रही लेकिन पार्टी उन्हें निकालने की हिम्मत नहीं जुटा पाई।
निर्दलीय उम्मीदवार के रुप में उनके पिता की हार से और अधिक आहत हुए सिंह को मंत्रिमंडल में शामिल करने की चर्चाएं चलती रही लेकिन कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया। इस बीच सिंह पार्टी से अलग राह पर चल पड़े तथा पिछले माह स्वाभिमान रैली आयोजित कर पार्टी को छोड़ने का संकेत दे दिया था।
इस क्षेत्र में कर्नल सोनाराम के भाजपा में शामिल होने से कांग्रेस काफी कमजोर हो गई थी। लोकसभा चुनाव में जसवंत सिंह चार लाख वोट लाकर दूसरे स्थान पर रहे जबकि कांग्रेस का उम्मीदवार हरीश चौधरी तीसरे स्थान पर रहा।
अभी यह माना जा रहा है कि मानवेन्द्र विधान सभा का चुनाव स्वयं नहीं लड़कर पत्नी को लड़ाएंगे तथा बाद में लोकसभा चुनाव में अपना भाग्य अाजमाएंगे।