नई दिल्ली। उच्चतम न्यायालय ने दुष्कर्म मामले में आरोपी चिन्मयानंद को पीड़िता के प्रमाणित बयान की प्रति देने की मांग गुरुवार को खारिज कर दी।
न्यायमूर्ति यूयू ललित की अध्यक्षता वाली न्यायमूर्ति विनीत सरन और न्यायमूर्ति रवीन्द्र भट की पीठ ने आपराधिक प्रक्रिया संहिता की धारा 164 के तहत इलाहाबाद उच्च न्यायालय के उस आदेश को अलग रखा है जिसमें शाहजहांपुर की एक विधि छात्रा के साथ दुष्कर्म के आरोपी चिन्मयानंद को जांच के दौरान पीड़िता के प्रमाणित बयान की प्रति उपलब्ध कराने की अनुमति दी गई थी।
पीठ ने यह भी कहा कि 2014 में उसके पिछले फैसले के मानदंडों के मुताबिक किसी दुष्कर्म पीड़िता का बयान महिला मजिस्ट्रेट के सामने सीधे 24 घंटे के भीतर दर्ज किया जाना चाहिए।
उल्लेखनीय है कि विशेष जांच दल ने चिन्मयानंद को 21 सितंबर 2019 को गिरफ्तार किया था और उन्हें (चिन्मयानंद) जेल भेज दिया गया। इसके अलावा तेईस वर्षीय छात्रा और तीन अन्य को भी पूर्व केंद्रीय मंत्री से पांच करोड़ रुपए की फिरौती मांगने के आरोप में हिरासत में लिया गया था।
इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने छह दिसम्बर को इन चारों को जमानत पर रिहा कर दिया था। विशेष जांच दल ने छह नवम्बर को दुष्कर्म और फिरौती दोनों ही मामलों में आरोपपत्र पेश किया था। दुष्कर्म का आरोपी चिन्मयानंद अभी जेल में बंद है।