भोपाल। भोपाल (bhopal) की मनुआभान टेकरी में गत वर्ष आठवीं की छात्रा के साथ हुए रेप (rape) और हत्या की सनसनीखेज वारदात में चौंकाने वाला खुलासा हुआ है। पुलिस (police) की चालान डायरी में आरोपी बनाए गए जस्टिन राज और अविनाश साहू की डीएनए रिपोर्ट (DNA report) निगेटिव आई है। सागर फॉरेंसिक लैब (Forensic Lab, Sagar) से दो बार आयी DNA रिपोर्ट में ये दोनों आरोपी बे-गुनाह साबित हो गए हैं। इनके ब्लड और सीमन (Blood and semen) का छात्रा के शरीर से लिए गए सेंपल से मिलान नहीं हुआ है। छात्रा के शरीर में आरोपियों के बजाए किसी दूसरे के सीमन पाए गए।
भोपाल में 12 साल की छात्रा के साथ सनसनीखेज़ गैंगरेप और मर्डर केस में आयी DNA रिपोर्ट पुलिस के लिए गले का फंदा बन गया है। सागर फॉरेंसिक लैब आयी ये निगेटिव रिपोर्ट पुलिस वाले मानने को लिए तैयार नहीं हैं। छात्रा की पिछले साल 30 अप्रैल को रेप के बाद हत्या कर दी गयी थी। भोपाल पुलिस अब इस रिपोर्ट को अन्य फॉरेंसिक लैब में भेज कर नयी रिपोर्ट के इंतज़ार में है। ऐसे में अहम सवाल यह उठ रहा है कि अगर आरोपियों की डीएनए रिपोर्ट निगेटिव है तो छात्रा के साथ रेप के बाद हत्या किसने की थी।
न्याय की आस
घटना के आठ महीने बाद अब तक यही स्पष्ट नहीं हो सका है कि आरोपी कौन है। सूत्रों का कहना है कि पुख्ता साक्ष्यों के अभाव में पुलिस भी इस केस की पैरवी ठीक से नहीं कर रही है।छात्रा के पीडि़त परिवार का कहना है कि जो भी आरोपी है उसे जल्द ही सजा मिलनी चाहिए।शिवराज सिंह चौहान ने दिया था धरना
शिवराज सिंह चौहान ने दिया था धरना
इस मामले में अभी तक न्याय न मिलने पर पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने भी पुलिस को आड़े हाथों लिया था। वो पीड़ित परिवार के साथ धरने पर बैठे थे। इस मामले में कोहेफिजा थाना पुलिस ने छात्रा के शरीर पर मिले शुक्राणु के आधार पर दो लोगों को आरोपी बनाया था। इसमें अविनाश साहू और जस्टिन राज के (सीमन), वैजाइनल स्वाब और ब्लड सैंपल की डीएनए जांच के लिए सागर भेजे गए थे।
आरटीआई से खुलासा
आरटीआई से मिली जानकारी में खुलासा हुआ कि दोनों ही डीएनए रिपोर्ट का मिलान नहीं हुआ और रिपोर्ट निगेटिव आई।निगेटिव रिपोर्ट आते ही अफसरों ने रिपोर्ट को दबा दिया और नयी जांच रिपोर्ट के इंतज़ार में बैठ गई। भोपाल पुलिस ने एक रिपोर्ट तैयार कर 21 अगस्त 2019 को हैदराबाद फॉरेंसिक लैब भेजी थी। हैदराबाद में ज़्यादा केस पेंडिंग होने के कारण रिपोर्ट तलब नहीं हुई जिसे अब दिल्ली भेजा गया है।
सागर फॉरेंसिक लैब से मिला न्याय सागर की फॉरेंसिक लैब अब तक 29 लोगों को फांसी की सज़ा दिलवा चुकी है।ये लैब प्रदेश भर में वर्ष 2018 से मई 2019 के बीच हुए रेप केस में डीएनए रिपोर्ट के आधार पर 29 गुनाहगारों को फांसी की सजा दिलवा चुकी है। ऐसे में अगर पुलिस की कार्रवाई की बात करें तो राजधानी पुलिस ने सागर फॉरेंसिक लैब पर प्रश्न-चिन्ह लगा दिया है।
पुलिस का तर्क
डीएनए रिपोर्ट निगेटिव आने के बाद अफसरों ने रिपोर्ट को दबा दिया। इसलिए चालान पेश करने में देरी होती गई। पुलिस ने इस घटना में 45 गवाह बनाए हैं। पूरी तफ्तीश कर 16 जून को चालान कोर्ट में पेश किया गया था। पुलिस ने न्यायालय में तर्क दिया कि दो बार डीएनए सैंपल सागर लैब भेजे गए थे, जो खराब हो गए।पुलिस अगर निगेटिव डीएनए रिपोर्ट को न्यायालय में पेश कर देती है, तो निश्चित ही दोनों आरोपियों को जमानत मिलना तय है। अब पुलिस कानून के जानकारों की मदद ले रही है।
आख़िर कौन ?
फिलहाल भोपाल पुलिस अब अपनी कार्रवाई में खुद उलझती हुई नजर आ रही है। न्याय की आस में बैठे वहीं पीड़ित परिजन अपनी बेटी के कातिलों को सज़ा मिलने के इंतज़ार में हैं, लेकिन इस रिपोर्ट के बाद तो अब ये ही नहीं समझ आ रहा है कि आख़िर आरोपी है कौन।