जबलपुर। बलात्कार किए जाने से गर्भवती हुई युवती ने गर्भपात के लिए मध्यप्रदेश उच्च न्यायालय की शरण ली है।
न्यायाधीश वीके शुक्ला की एकलपीठ ने याचिका की सुनवाई करते हुए निर्देश जारी किए हैं कि बलात्कार पीड़िता की जांच के लिए मेडिकल बोर्ड गठित किया जाए। मेडिकल बोर्ड इस बात की जांच करे कि भ्रूण कितने माह का है और गर्भपात किए जाने से याचिकाकर्ता की जान को किसी प्रकार का खतरा तो नहीं है। न्यायालय ने याचिका पर अगली सुनवाई 14 जून को निर्धारित की है।
बलात्कार पीड़िता की तरफ से दायर याचिका में कहा गया था कि शादी का झांसा देकर आरोपी युवक ने उससे 30 मार्च 2018 को बलात्कार किया था। उसके बाद वह लगातार उससे साथ शारीरिक संबंध बनाता रहा। इस दौरान उसने किसी और से शादी कर ली। इसके बाद पीड़िता ने 20 अप्रेल को थाने पहुंचकर उसके खिलाफ बलात्कार की रिपोर्ट दर्ज करवाई।
मेडिकल परीक्षण के बाद 1 मई को पीड़िता के गर्भ में 6 से 7 सप्ताह का भ्रूण होने की जानकारी दी गई।। उसने गर्भपात के लिए 8 मई को संबंधित पुलिस थाने और जिला चिकित्सालय में आवेदन दिया, जो स्वीकार नहीं किया गया।
गर्भपात की अनुमति के लिए उसने 26 मई को जिला न्यायालय में आवेदन दायर किया था। जिला न्यायालय ने अपने आदेश में यह कहते हुए आवेदन खारिज कर दिया था कि ऐसी कोई मेडिकल रिपोर्ट पेश नहीं की गई है, जिसमें पीड़िता के गर्भवती रहने से उसके शारीरिक या मानसिक स्वास्थ्य पर क्षति और जोखिम है। जिला न्यायालय द्वारा आवेदन खारिज किए जाने के बाद उसने उच्च न्यायालय की शरण ली है।