प्रयागराज। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने किन्नर अखाड़ा के बाउंसर रिक्की मलिक उर्फ मोसिम खान और रिक्की खान को फिलहाल राहत देने से इंकार कर दिया है। न्यायालय ने याची की गिरफ्तारी पर रोक और प्राथमिकी को रद्द किए जाने की मांग को खारिज कर दिया है।
न्यायालय ने इस मामले में कहा है कि अगर याचिकाकर्ता निचली अदालत में आत्मसमर्पण करता है और 30 दिन के भीतर जमानत की अर्जी देता है तो निचली अदालत उसकी जमानत अर्जी पर यथाशीघ्र कानून के मुताबिक विचार कर उस पर निर्णय लेगी।
न्यायमूर्ति नाहिद आरा मुनीस और न्यायमूर्ति जयंत बनर्जी ने याचिकाकर्ता मौसिम खान की याचिका पर यह आदेश दिया है। याचिकाकर्ता मोहसिन खान इलाहाबाद उच्च न्यायालय में गिरफ्तारी पर रोक और प्राथमिकी रद्द किए जाने की मांग पर याचिका दाखिल की थी। याचिका दायर कर प्राथमिकी को चुनौती दी गई थी।
याचिकाकर्ता के अधिवक्ता मनीष द्विवेदी एवं कमल देव पांडेय ने अदालत में अपना पक्ष रखते हुए कहा कि याचिकाकर्ता को सिविल लाइंस पुलिस अनावश्यक परेशान कर रही है। जबकि प्रथम दृष्टया उक्त मामले में कोई संज्ञेय अपराध नहीं बनता है। ऐसे में याचिकाकर्ता के खिलाफ दर्ज प्राथमिकी रद्द की जानी चाहिए।
न्यायालय में अपर शासकीय अधिवक्ता ने कहा कि मामला गंभीर है एफआईआर में लगे आरोप को इस स्तर पर इंकार नहीं किया जा सकता। गौरतलब है कि याचिकाकर्ता के खिलाफ सिविल लाइन्स थाने में आईपीसी की धारा 376, एवम 66 आईटी एक्ट समेत कर धाराओं में 13 जून को प्राथमिकी दर्ज कराई गई थी। जिस पर राहत के लिए याची ने उच्च न्यायालय की शरण ली थी।