अजमेर। राष्ट्रीय कवि संगम व नाट्यवृंद के तत्वावधान में महिला महीयसी काव्य गोष्ठी में प्रमुख कवियों द्वारा गीत व गजलों की प्रस्तुति रसोई बैंक्वेट हॉल स्वामी काम्प्लेक्स पर दी गई।
कवि संगम के अध्यक्ष ललित कुमार शर्मा ने जानकारी देते हुए बताया कि काव्य गोष्ठी का संचालन डॉक्टर पूनम पांडे ने एक सुंदर सरस्वती वंदना से किया। कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए गोपाल गर्ग ने सिर्फ उजाला देख रहे हो दीपक के जल जाने से और हे पता कर बेवफा मुझको तन्हा छोड़ गए मुझको सुनाया।
गंगाधर शर्मा हिंदुस्तान ने स्कंद मात हे आप की शैलपुत्री आप ही हरो जगत के पास हे माता जल्दी करो। उमेश कुमार चौरसिया क्या शापित नहीं है नारी पत्थर की तरह संवेदना शुन्य सी मौन बने रहने के दूसरी कविता सुख में उल्लास दुख में हौसला देती नारी सुनाया।
संदीप पांडे ने विद्या लक्ष्मी सब नारी स्वरूपा है। राजेश भटनागर ने हां मैं तैयार हूं, जी चाहता है आसमानों की तारों से अभिनंदन करूं तेरा। प्रदीप गुप्ता की पहली कविता सजग सफल बलधारी हूं मैं नए समय की नारी दूसरी कविता जीवन में जो हमने सीखी सबसे पहली सीख है मां विपदा में आड़े आ जाती रक्षा का ताबीज है मां।
गोविंद भारद्वाज की रचना भारत की हर नारी ने अपना विश्वास बढ़ाया अवसर मिलते ही उसने हरदम इतिहास रचाया दूसरी कविता जब चाहा सागर से गहरा नारी ने प्यार दिया वक्त पड़ा तो अपना सब कुछ दूजे पर वार दिया। विनीता आशीष जैन की कविता सूरज का तेज जिसमें, अभी तो दूर है मंजिल सुनाई।
महामंत्री नरेंद्र भारद्वाज ने बताया कि 13 कवियों ने माता की महिमा को प्रस्तुत करते हुए कवियों ने अपनी प्रस्तुतियां दी जिसमे विनीता बाड़मेर सुंदर रचना प्रस्तुत करते हुए, लोग कहते हैं तुम बदल रही हो दूसरी कविताओं घर को अपनी हंसी से गुलजार करती है लड़किया सुनाया।
राम अवतार यादव सहर नसीराबादी ने, हे दम से तेरे यह घर शिवालय, तू है तो है चारों धाम घर में, प्रस्तुति दी। डॉक्टर के के शर्मा ने नारी तू नारायणी तेरे अनेकों रूप दूसरी कविता घर परिवार वो जिसमे होता नारी का सम्मान जहां।
सुनील कुमार मित्तल ने इस पृथ्वी पर भगवान है मां एक बच्चे के लिए चारों धाम हे मां दूसरी कविता थी पर आए घर से आकर इस घर को अपनाती है छोड़कर अपनों को गैरों को अपनाती है सुनाई।
कार्यक्रम के सयोजक कंवल प्रकाश किशनानी ने कहा कि नवरात्रो में कवियों द्वारा मां शक्ति को कविताओं के माध्यम से नमन किया है। अंत में उमेश चौरसिया द्वारा धन्यवाद प्रस्तुत दिया।