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एक दूसरे में सामन्जस्य बिठाना ही एकात्म मानववाद का दर्शन : राज्यपाल कलराज मिश्र - Sabguru News
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एक दूसरे में सामन्जस्य बिठाना ही एकात्म मानववाद का दर्शन : राज्यपाल कलराज मिश्र

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एक दूसरे में सामन्जस्य बिठाना ही एकात्म मानववाद का दर्शन : राज्यपाल कलराज मिश्र

-राष्ट्रीय सुरक्षा एवं पंडित दीनदयाल उपाध्याय विचार दर्शन विषय पर व्याख्यान
जयपुर। पंडित दीनदयाल उपाध्याय राष्ट्रीय स्मारक स्थल धानक्या पर मंगलवार को राष्ट्रीय सुरक्षा एवं पंडित दीनदयाल उपाध्याय विचार दर्शन विषय पर व्याख्यान का आयोजन किया गया। समारोह को राज्यपाल कलराज मिश्र और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के क्षेत्र प्रचारक दुर्गादास ने संबोधित किया।

इस मौके पर राज्यपाल कलराज मिश्र ने कहा कि आचार, व्यवहार को कृतित्व के माध्यम से कभी थोपने का प्रयास नहीं किया, बल्कि उन्होंने कठिन परिश्रम से लोगों को अनुभव करना सिखाया। दीनदयाल लोगों के मन में बसे हुए थे।

उन्होंने कहा कि पंडित दीनदयाल ने कष्ट सहकर जो काम किया जो अदभुत है। उनका मानना था कि राष्ट्र, समाज को एकत्र करके ऐसी ताकत बनाएंगे जो देश पर कुदृष्टि रखने वालों को नेस्तानाबूद कर देगी। उनका एकात्म सिद्धांत समाज के अंदर रहन- सहन भिन्न होने के बाद भी समाज को जोड़ती है। उन्होंने कहा था कि वर्ण व्यवस्था स्थायी नहीं है। एक दूसरे में सामन्जस्य बिठाना ही एकात्म मानववाद का दर्शन है।

उन्होंने कहा कि देश को आंतरिक और सांस्कृतिक दृष्टि से सुदृढ़ बनाना होगा। हम सबल होंगे तभी देश को सुरक्षित कर पाएंगे। अब सीमा सुरक्षा को लेकर काफी काम हुआ है। लंबे समय से इसकी उपेक्षा की गई। सोच की विकृति के कारण पहले यह नहीं हो पाया था।

1974 में पोकरण से दुनिया को संदेश दिया था कि भारत भी परमाणु बम बना रहा है। आज दुनिया को लगने लगा है कि हिन्दुस्थान आधुनिक हथियारों से किसी भी ताकतवर देश का मुकाबला कर सकता है। आज देश का नेतृत्व सक्षम है।

युवाओं का भटकाव रोकने के लिए राष्ट्र भाव का जागरण जरूरी : दुर्गादास

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के क्षेत्र प्रचारक दुर्गादास ने कहा कि दीनदयालजी की यह 52वीं पुण्यतिथि है। उनकी हत्या भी 52 साल की आयु में विचारों पर दृढ़ रहने के कारण हुई थी। वे बहुआयामी व्यक्तित्व के धनी थे। दीनदयाल उपाध्याय अभाव के कांटों में पलकर दुर्भाग्य के थपेड़ों में पड़कर आगे बढ़ने वाले विलक्षण प्रतिभा के धनी थे।

उन्होंने कहा कि पंडित दीनदयाल सत्यव्रती जीवन जीने वाले थे। हर विषय को मानवीय दृष्टिकोण से देखते थे। उनके विचार आज भी प्रासंगिक है। वे कहते थे कि देश में कोई अल्पसंख्यक नहीं है। सभी इस शरीर के अंग है।

उन्होंने कहा कि राष्ट्र की चिंता करने वाले देश में बहुत कम राजनीति दल है। राष्ट्रीय सुरक्षा की दृष्टि से दो स्तर एक सैन्य और दूसरा आंतरिक पर सोचने की आवश्यकता है। बाह्य संकट से लड़ने के लिये सर्जिकल स्ट्राइक जैसी कार्रवाई करनी पड़ती है।

उन्होंने कहा कि सेना के आधुनिकीकरण की बहुत आवश्यकता है। केवल सैनिक शक्ति से ही राष्ट्रीय सुरक्षा संभव नहीं, अब तकनीकी बदल गई है। उन्होंने इस बात पर चिन्ता जाहिर की कि हमारे देश के कुछ लोग अराजकता फैला रहे है। देश में राष्ट्र विरोधी अड्डे बन गए है। इनसे सेना, शासन और प्रसार माध्यमों को मिलकर लड़ना होगा। राष्ट्र भाव को बढ़ावा देना। इससे जुड़े विषयों को भी पाठ्क्रम में शामिल करना होगा।

इससे पहले राज्यपाल मिश्र और क्षेत्र प्रचारक दुर्गादास ने स्मारक स्थल पर पंडित दीनदयाल उपाध्याय की प्रतिमा पर पुष्पांजलि अर्पित की। उन्होंने पंडित उपाध्याय की चित्रदीर्घा और संस्कार सृष्टि का भी अवलोकन किया।

कार्यक्रम से पहले हिमाचल, दिल्ली, आगरा और जिंद विश्वविद्यालय के प्रतिनिधियों के साथ राष्ट्रीय सुरक्षा एवं पंडित दीनदयाल उपाध्याय विचार दर्शन पर काम करने वाले प्रतिनिधियों की बैठक हुई। समारोह में पंडित दीनदयाल उपाध्याय के जीवन पर शोध एवं लेखन करने वाले लेखकों, शोधार्थियों और विद्यार्थियों को सम्मानित किया गया।

कार्यक्रम को सेवानिवृत्त लेफ्टिनेंट जनरल विशंभर सिंह, मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया के सदस्य डॉ एसएस अग्रवाल, स्मृति समारोह समिति का अध्यक्ष डॉ मोहनलाल छीपा, ओंकार सिंह लखावत ने भी संबोधित किया। इस दौरान क्षेत्र प्रचारक निंबाराम, प्रांत प्रचारक डॉ.शैलेंद्र, समारोह समिति के सचिव अनुराग सक्सैना समेत बड़ी संख्या में प्रबुद्ध नागरिक व लोग मौजूद थे।