विभीषण विश्ववा के सबसे छोटे पुत्र थे । बचपन से ही उनके मन में धर्म के प्रति रुचि थी । श्रीराम के परम भक्त थे । यह तीन भाई थे विभीषण, कुंभकरण, रावण । विभीषण सबसे छोटे थे, ये दोनों भाइयों से अलग विभीषण का स्वभाव था । विभीषण लंका में रावण के साथ रहते थे, जब रावण ने सीता का हरण किया था तो विभीषण ने अपने भाई रावण को महापाप बताते हुए सीता को श्रीराम को लौट आने का कहा था मगर रावण ने अनसुना कर दिया।
जब श्री हनुमान सीता माता की खोज करते हुए आए तो उन्होंने राम नाम के अंकित विभीषण का घर देखा ,चारों और तुलसी के पेड़ लगे हुए देखें ,सूर्योदय के पूर्व का समय था उसी समय श्री राम नाम का समरन हुए विभीषण की निद्रा भंग हुई ।हनुमान को देखकर भाव विभोर हो गए और उन्होंने श्री हनुमान को अशोक वाटिका में सीता माता का पता दिया।
विभीषण एक गुप्तचर था इसका नाम “अनल “ था ।
उसने रावण के बारे में सब पता करके श्रीराम को जानकारी दी। श्री राम ने रावण को मार कर विजय हासिल की मगर आज भी विभीषण के लिए कहा जाता है “घर का भेदी लंका ढाए “।।