नयी दिल्ली । भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) की स्वायत्तता को लेकर छिड़े विवाद के बीच सरकार ने आज स्पष्ट किया कि वह केंद्रीय बैंक की स्वायत्तता का सम्मान करती है और दोनों पक्षों के बीच समय-समय पर होने वाले विचार-विमर्श के अंतिम निर्णय को ही सार्वजनिक किया जाना चाहिये।
वित्त मंत्रालय द्वारा आज जारी वक्तव्य में यह कहा गया है कि आरबीआई अधिनियम के तहत प्रदत्त केंद्रीय बैंक की स्वायत्तता शासन के लिये जरूरी है। सरकार इसका सम्मान करती है। सरकार और आरबीआई दोनों की कार्यप्रणाली लोकहित और भारतीय अर्थव्यवस्था की जरूरतों के अनुसार होनी चाहिये।
इस उद्देश्य के साथ सरकार और आरबीआई के बीच समय – समय पर विभिन्न मुद्दों पर व्यापक विचार विमर्श होता है। अन्य नियामकों के साथ भी ऐसा होता है। सरकार ने कभी भी विचार-विमर्श की विषयवस्तु को सार्वजनिक नहीं किया। सिर्फ अंतिम निर्णय ही सार्वजनिक किये जाते हैं। सरकार इस विचार-विमर्श के माध्यम से मुद्दों पर अपनी राय रखती है और संभावित सुझाव देती है। आगे भी सरकार ऐसा करती रहेगी।
उल्लेखनीय है कि वित्त मंत्री अरुण जेटली ने गैर-निष्पादित परिसंपत्तियों (एनपीए) में भारी वृद्धि के लिये आरबीआई को जिम्मेदार ठहराते हुये कहा था कि वर्ष 2008-14 के दौरान वह बैंकों द्वारा मनमाने ढंग से ऋण दिये जाने पर रोक लगाने में असफल रहा। वित्त मंत्री ने यह बयान ऐसे समय में दिया जब केन्द्रीय बैंक के डिप्टी गवर्नर विरल आचार्य आरबीआई की स्वायत्तता का मुद्दा उठा चुके हैं। श्री आचार्य ने आरबीआई की स्वायतत्ता को कमजोर करने की सरकारी कोशिशों पर सवाल उठाते हुये कुछ दिन पहले कहा था कि इसके परिणाम गंभीर हो सकते हैं।