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किश्तों की वसूली पर रोक, अर्थव्यवस्था के लिए नीतिगत दरों में भारी कटौती - Sabguru News
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किश्तों की वसूली पर रोक, अर्थव्यवस्था के लिए नीतिगत दरों में भारी कटौती

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किश्तों की वसूली पर रोक, अर्थव्यवस्था के लिए नीतिगत दरों में भारी कटौती

नई दिल्ली। कोरोना वायरस के संक्रमण को रोकने के लिए शुरू किए गए 21 दिवसीय राष्ट्र व्यापी लॉकडाउन से किसान, गरीब, महिला और अन्य महत्वपूर्ण समुदायों को बचाने के लिए सरकार द्वारा 1.70 लाख करोड़ रुपए के पैकेज की घोषणा के एक दिन बाद रिजर्व बैंक ने कोरोना के अर्थव्यवस्था पर पड़ने वाले प्रभावों को कम करने के लिए न सिर्फ नीतिगत दरों में भारी कटौती की बल्कि ऋण में मासिक किश्तों की वसूली पर भी तीन महीने के लिए रोक लगा दी।

रिजर्व बैंक की मौद्रिक नीति समिति की 24-25 और 27 मार्च को हुई चालू वित्त वर्ष की सातवीं द्विमासिक समीक्षा बैठक के बाद केन्द्रीय बैंक के गवर्नर शक्तिकांता दास ने इन निर्णयों की जानकारी दी। उन्होंने कहा कि कोरोना वायरस से वैश्विक स्तर पर आर्थिक मंदी आ रही है। भारत पर भी इसका असर होगा लेकिन भारतीय अर्थव्यवस्था की नींव वर्ष 2008-09 के वैश्विक आर्थिक संकट से भी अधिक मजबूत है। हालांकि उन्होंने कहा कि काेरोना वायरस के प्रभावों को अर्थव्यवस्था पर प्रभाव कम करने के लिए नीतियों और नियमनों को उदार बनाया गया है।

उन्होंने कहा कि कोरोना के कारण महंगाई पर कम असर होने की उम्मीद है क्योंकि इस दौरान मांग प्रभावित होगी और वैश्विक स्तर पर तेल की कीमतों में आई कमी का लाभ भारत को होगा। उन्होंने कहा कि रिजर्व बैंक काेरोना वायरस के आर्थिक प्रभाव पर करीब से नजर रखे हुए हैं और वित्तीय स्थिरता बनाये रखने के लिए आवश्यक कदम उठाता रहेगा। सभी तरह के उपायों का उपयोग किया जायेगा। समिति का रूख अभी भी एकोमोडिटव बना हुआ है।

उन्होंने कहा कि गत फरवरी में हुई समिति की बैठक के बाद से अब तक 2.8 लाख करोड़ रुपए का तंत्र में प्रवाह बढ़ाया गया था जो सकल घरेलू उत्पाद का 1.4 प्रतिशत है। आज किए गए मौद्रिक उपायों से तंत्र में 3.74 लाख करोड़ रुपए आ रहा है जो जीडीपी का 3.2 प्रतिशत है।

दास ने कहा कि समिति की बैठक पहले 31 मार्च और एक एवं तीन अप्रेल को निर्धारित थी जिसे कोरोना वायरस के अर्थव्यवस्था पर पड़ रहे प्रभाव के मद्देनजर 24, 25 और 27 मार्च को आयोजित किया गया। उन्होंने कहा कि इस वायरस के कारण सभी तरह के सावधि ऋण की एक मार्च 2020 से तीन महीने तक वसूली नहीं करने की अनुमति सभी बैंकों को दी गई है।

इसमें व्यावसायिक बैंकों के साथ ही क्षेत्रीय ग्रामीण बैंक, स्मॉल फाइनेंस बैंक, स्थानीय क्षेत्रीय बैंक, सहकारी बैंक, सभी वित्तीय संस्थान और एनबीएफसी शामिल है। इसके साथ ही कार्यशील पूंजी के लिए नकद ऋण, ओवरड्राफ्ट आदि पर एक मार्च से तीन महीने तक ब्याज की वूसली टालने के लिए कहा गया है। इस बकाये ब्याज की वूसली तीन महीनों के बाद करने के लिए कहा गया है।

उन्होंने कहा कि सभी तरह के ऋण की वूसली और कार्यशील पूंजी पर ब्याज की वसूली में राहत को संपदा वर्गीकरण डाउनग्रेड में शामिल किया जाएगा। उन्होंने कहा कि किश्तों की वसूली पर रोक, कार्यशील पूंजी पर ब्याज में राहत और कार्यशील पूंजी फाइनेंसिंग को सरल बनाए जाने का लाभार्थियों के क्रेडिट इतिहास पर कोई विपरीत असर नहीं होगा।

दास ने कहा कि नेट स्टैबल फंडिंग रेसियो (एनएसएफआर) को भी छह महीने के लिए टाल दिया गया है। पहले इसको एक अप्रेल 2020 से लागू करने की तैयारी थी। अब यह एक अक्टूबर 2020 से प्रभावी होगा। इसके साथ ही कैपिटल कंर्जवेशन बफर (सीसीबी) के अंतिम चक्र को भी टाल दिया गया है। अब यह 31 मार्च 2020 के स्थान पर 30 सितंबर 2020 से प्रभावी होगा।

उन्होंने कहा कि समिति ने रेपो दर में 0.75 प्रतिशत और रिवर्स रेपाे दर में 0.90 प्रतिशत की कटौती की है। इसके साथ ही नकद आरक्षित अनुपात में एक फीसदी की कटौती की गई। इसके साथ ही मार्जिनल स्टैंडिंग फैसिलिटी और बैंक दर में भी 0.75 प्रतिशत की कमी की गई है। इन सभी कटौतियों से तंत्र में 3.74 लाख करोड़ रुपए का प्रवाह बढ़ेगा।

दास ने कहा कि लिक्विडिटी एजस्टमेंट फैसिलिटी (एलएएफ) में भी 0.90 प्रतिशत की कटौती की गई है और अब यह 4.0 प्रतिशत पर आ गई है। शेयर बाजार में हुई भारी बिकवाली के मद्देनजर रिजर्व बैंक ने एक नया टर्म टारगेटेड लॉग टर्म रेपो ऑपरेशनंस (टीएलटीआरओ) शुरू किया है और इसके माध्यम से एक लाख करोड़ रुपए का प्रवाह बढ़ाया जाएगा।

समिति के निर्णय के बाद अब रेपो दर 5.15 प्रतिशत से कम होकर 4.40 प्रतिशत, रिवर्स रेपो दर 4.90 प्रतिशत से घटकर 4.0 प्रतिशत, एमएसएफ 5.40 प्रतिशत से घटकर 4.65 प्रतिशत, बैंक दर 5.40 प्रतिशत से घटकर 4.65 प्रतिशत, सीआरआर 4.0 प्रतिशत से घटकर 3.0 प्रतिशत और एलएएफ 18.25 प्रतिशत से कम होकर 17.35 प्रतिशत हो गया है।

दास ने कहा कि जनवरी फरवरी 2020 में प्याज की कीमतों में रही तेजी के कारण खुदरा महंगाई दर में रिजर्व बैंक के अनुमान से 30 फीसदी की बढोतरी दर्ज की गई है। हालांकि कोरोना वायरस के कारण मांग में कमी आने से आगे महंगाई में सुस्ती की उम्मीद है और समिति द्वारा किये गये मौद्रिक उपायों के बावजूद महंगाई को चार प्रतिशत के लक्षित दायरे से दो फीसदी ऊपर नीचे रखने की कोशिश की गई है।

मौद्रिक नीति की मुख्य बातें

रिजर्व बैंक की मौद्रिक नीति समिति की चालू वित्त वर्ष की शुक्रवार को समाप्त हुई सातवीं द्विमासिक बैठक में काेरोना वायरस के प्रभावों से अर्थव्यवस्था को बचाने के लिए किए गए मौद्रिक उपायों की मुख्य बातें इस प्रकार है:

.. रेपो दर 0.75 प्रतिशत घटकर 4.40 प्रतिशत पर
.. रिवर्स रेपो दर 0.90 प्रतिशत कम होकर 4.0 प्रतिशत
.. मार्जिनल स्टैंडिंग फैसेलिटी दर (एमएसएफआर) 0.75 प्रतिशत कम होकर 4.64 प्रतिशत, इससे तंत्र में 1.37 लाख करोड़ रुपए आए।
.. बैंक दर 0.75 प्रतिशत घटकर 4.65 प्रतिशत
.. नकद आरक्षित अनुपात (सीआरआर) एक फीसदी कम होकर 3.0 प्रतिशत, इससे तंत्र में 1.37 लाख करोड़ रुपए आए।
.. वैधानिक तरलता अनुपात (एसएलआर)0.90 प्रतिशत घटकर 17.35 प्रतिशत
.. रिजर्व बैंक के मौद्रिक उपायों से कुल मिलाकर तंत्र में 3.74 लाख करोड़ रुपए आएंगे।