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real biography of lala lajpat rai in hindi - लाला लजपतराय का जीवन - Sabguru News
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देश भक्त लाला लजपतराय के जीवन की आत्मकथा

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देश भक्त लाला लजपतराय के जीवन की आत्मकथा
biographyof lala lajpatray ji-jivni
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भारतीय स्वाधीनता को मूर्तिमान करने में लाला लाजपत राय का प्रमुख स्थान हैं। लाला लाजपत राय का जन्म एक निर्धन वैश्य परिवार में 28 जनवरी 1865 में हुआ था। वे पंजाब के शेर कहलाते थे। वे बड़े ओजस्वी वक्ता और उच्च कोटि के देश भक्त थे। उन्होंने देश के लिए कठिन से कठिन यातनाएं भोगी है।अंत में अपने जीवन की आहुति भी दी। उनका नाम उनके त्याग और बलिदान के लिए सदा अमर रहता है। अपनी सेवाओं और सद्भावनाओं के लिए लालाजी लोकप्रिय रहे। उन्होंने अपने समर्थकों की अनेक सभाएं बनायी हैं और जनता की हिफाजत के लिए एक अनाथालय के भी स्थापना की।

यह अनेक लोगों के लिए आश्रय बनी। लालाजी ने इस प्रकार जनता को जगाकर स्थान स्थान पर जनसेवा समितियों का गठन किया। देश की स्वाधीनता के लिए लगे रहना ही लाला जी का सबसे बड़ा गुण था। इसी कारण आज भी लोग उनका नाम बड़ी श्रद्धा के साथ लिया जाता है। लालाजी ने कुछ अनमोल वचन दिए हैं-

1. देश सेवा से बढ़कर हमारा कोई धर्म नहीं है।
2. जिस व्यक्ति में जातीय गौरव और आत्म सम्मान का विचार नहीं वह पशु के समान है।
3. मानसिक दासता ही सबसे अधिक हानिकारक है।
4. संसार में मातृशक्ति सबसे पवित्र और सबसे महान है।

लाला लाजपत राय, तिलक और बिपिन चंद्र पाल की तरह उग्रवादी नेता थे। उन्होंने अपने ओजस्वी भाषणों और लेखों के द्वारा जनता में जागृति उत्पन्न की। वे समाजवादी थे और पूंजीवादी तथा आर्थिक शोषण के सख्त विरुद्ध थे। वे किसानों और मजदूरों की उन्नति चाहते थे। 1905 से उन्होंने देश की राजनीति में सक्रिय भाग लेना शुरू किया । उन्होंने बंगाल के विभाजन का खड़ा विरोध किया है। वे कहते थे –

” यदि सरकार हमारे अधिकारों की मान्यता दे तो हम औपनिवेशिक स्वराज्य चाहते हैं वरना हम ब्रिटिश साम्राज्य से संबंध तोड़ना चाहते है।”

16 जून 1925 को उनके स्वर्गवास होने से देश को बड़ी हानि पहुंची।