मुंबई। रिजर्व बैंक की मौद्रिक नीति समिति ने कोविड-19 के कारण चालू वित्त वर्ष में रियल जीडीपी में 9.5 फीसदी की गिरावट का अनुमान जताते हुए आज कहा कि अगले वित्त वर्ष की पहली तिमाही में इसमें 20.6 फीसदी की बढोतरी दर्ज किए जाने की संभावना है।
रिजर्व बैंक के गवर्नर शक्तिकांत दास की अध्यक्षता में समिति की आज समाप्त हुई तीसरी द्विमासिक बैठक के बाद जारी बयान में कहा गया है कि कोविड-19 के कारण बनी अनिश्चितता के कारण चालू वित्त वर्ष की दूसरी तिमाही में विकास दर 9.8 प्रतिशत ऋणात्मक रहने का अनुमान है।
सरी तिमाही में यह 5.6 प्रतिशत गिरावट में रह सकता है, जबकि चौथी तिमाही में इसमें 0.5 प्रतिशत की बढोतरी देखी जा सकती है। वर्ष 2021-22 की पहली तिमाही में इसमें 20.6 प्रतिशत की बढोतरी दर्ज किए जाने का अनुमान है।
दास ने कहा कि पहली तिमाही में जीडीपी में करीब 24 फीसदी की गिरावट आने के बाद दूसरी तिमाही में इसमें स्थिरता आने की उम्मीद है। सरकारी व्यय में हो रही बढोतरी और ग्रामीण क्षेत्रों में मांग बढ़ने से अर्थव्यवस्था में सुधार हो रहा है। कोरोना के कारण आपूर्ति बाधित होने और परिवहन लागत बढ़ने से अभी भी लागत मूल्य का दबाव बना हुआ है लेकिन इन जोखिमों में अनलॉक के बाद से कमी आने लगी है।
उन्होंने कहा कि ग्रामीण अर्थव्यवस्था में अनुमान के अनुरूप सुधार होने की उम्मीद है लेकिन सामाजिक दूरी के कारण शहरी मांग में सुधार की संभावना कम दिख रही है। सेवा क्षेत्र में काेरोना से पहले की स्थिति में पहुंचने में समय लग सकता है लेकिन विनिर्माण क्षेत्र में तीसरी तिमाही में सुधार होने की उम्मीद है। निजी निवेश और निर्यात के अभी भी दबाव में रहने की संभावना है क्योंकि कोरोना के कारण विदेशों से आने वाली माँग कमजोर है।