वास्तविक किसान की पहचान – भारत एक कृषि प्रधान देश है l तथा इसकी अर्थव्यवस्था कृषि पर निर्भर है l जब देश का किसान समृद्ध, शक्तिशाली और आर्थिक से मजबूत होगा, तब देश की अर्थव्यवस्था को नई गति मिलेंगी l अर्थव्यवस्था के मजबूत होने से देश के विकास में चार चांद लगेंगे l पौराणिक काल में किसान आर्थिक रूप से मजबूत होता था l प्राचीन काल में किसानों के पास खेतों कोई कमी नहीं थी l
किसान के हजारों बीघा जमीन
प्रत्येक किसान के हजारों बीघा जमीन आसानी से मिल जाती थी l तथा बारिश भी समय पर होती रहती थी l प्रचुर मात्रा में पशुओ की घरेलू खाद उपलब्ध हो जाती थी l तथा उच्च कोटि का बीज मिल जाता था l जिससे किसानों को एक अच्छी फसल की पैदावार मिल जाती थी l और खेतो से उत्पन्न अनाज का मूल्य भी पूरा मिलने से उनके परिवार को एक मजबूत सहारा मिलता था l यानी कहा जाए तो प्राचीन काल में किसान चारों ओर से परिपक्व था l परन्तु वर्तमान समय में किसानों की परिभाषा ही बदल डाली है l
वर्तमान में कुछ व्यक्ति खुद को एक ऎसे किसान मान रहे है, जो मानो सदियों से कृषि कार्य करते आ रहे हैं, जबकि उन्होंने कभी खेत की मिट्टी को छुआ तक भी नहीं है l वर्तमान समय कुछ लोग सफेद कपड़े पहन कर ऎसे किसान बन रहे हैं, जिनको किसान की परिभाषा भी पता नहीं है l वर्तमान समय में वास्तविक किसान कौन है, और कौन नहीं है, इनका मूल्यांकन करना अति-आवश्यक है अन्यथा जिससे वास्तविक किसान की पहचान हो सके l वर्तमान समय में देश के किसानों की दशा बहुत ही खराब है, जिसका वर्णन किया जाए तो अख़बारों के पृष्ठ भी कम पड़ जाए l वर्तमान में किसानों को कृषि कार्य से मोहभंग होता जा रहा है l इसके कई प्रमुख कारण है जैसे –
1. वर्षा की अनियमितता – वर्तमान में बढ़ते ग्लोबिंग वार्मिंग के कारण मानसून समय पर किसानों के खेत तक नहीं पहुच रहा है l कभी मानसून दस्तक देता है तो किसान खेतों की बुवाई कर देते हैं l फिर मानसून ऎसे अदृश्य हो जाता है कि खेत की फसले और किसान आसमान की ओर नजर टिकाए रखता है परंतु बारिश उन नजरों को कभी नहीं भिगो देता है l भीग जाती है तो केवल खेत की धरा.. किसान के आंसुओ से l और देखते ही देखते फसले बारिश के इंतजार में जल जाती है l फसले जब सूख कर रोती हुई अपने आप गिर जाती है l तब किसान अपने आप को संभाल नहीं पाता है क्योकि फसले तो किसान के हाथों से ही काटी जाती है और फसले मुस्कराती हुई कट जाती थी परन्तु अब समय ने अपने पहिए की गति को बढ़ा लिया है l
2. कुए व नलकूपों का गिरता भूजल स्तर– वर्षा की अनियमितता के कारण किसानो के पास वर्तमान समय में कृषि को जीवित रखने के लिए एकमात्र सहारा कुए एवं नलकूपों है l परन्तु दिनों – दिन बढ़ते नलकूपों की संख्या के कारण भुजल स्तर में भारी गिरावट आई है l पहले भूजल हाथ से खुदाई करने पर आसानी से मिल जाता था l परन्तु आज इसकी स्थिति विपरीत नजर आ रही है l वर्तमान समय भूजल स्तर हजारों फीट नीचे चला गया है l अगर मिल भी जाता है तो जल में खारेपन, तेलीय मात्रा ज्यादा होती है l जो कृषि कार्य के लिए अनुकूल नहीं होता है l जिससे किसानों को कृषि कार्य में अरुचि दिखने लगी है l जल की समस्या के कारण किसान की हालात अब दिनों – दिन खराब होती जा रही है l
3. उच्च कोटि का खाद्य बीज उपलब्ध नहीं होना – वर्तमान परिस्थितियों में देखा जाए तो किसानों को उच्च कोटि का खाद्य बीज प्रचुर मात्रा में उपलब्ध नहीं हो रहा है l बहुत सारी कंपनियां अच्छे बीजों का प्रचार कर देते हैं I परंतु किसान जब उन बीजों से फसल की बुवाई करते हैं तो परिणाम कुछ और ही नजर आते हैं I किसान बीजों का पूरा मूल्य अदा करने के बावजूद भी उनको वास्तविक फसल प्राप्त नहीं हो पाती है I जिससे किसानों की आर्थिक स्थिति बड़ी कमजोर होती जा रही है I
4. जहरीले रसायनों खाद से अनभिज्ञता – वर्तमान समय में कई छोटी – बड़ी कम्पनियो ने विभिन्न प्रकार के खाद को बाजार में भेज दिया है I परंतु वर्तमान का किसान उन खाद से पूरी जानकारी नहीं है कि कौनसी खाद सही और कौनसी सही नहीं I क्योकि किसान बिना जानकारी के खाद खरीद कर जब वह खेतों में फसल पर छिड़काव करते हैं I तो उसके परिणाम कुछ और ही बया होते हैं I जैसे जहरीले खाद से फसल को भी नुकसान, खेतो की जमीन बंजर होने के कगार होती है और किसान ख़ुद कई बीमारियों से ग्रसित हो जाता है I जिसका समय पर ठीक होना मुश्किल होता है I
5. बढ़ती जनसंख्या वृद्धि दर – देश में बढ़ती तीव्र गति से जनसंख्या भी किसानों की गरीबी का मुख्य कारण है l पहले किसानों के पास हजारों बीघा की तादात में खेतो की जमीन हुआ करती थी l किसान आराम से खेती के कार्यों को पूरा करते थे l परन्तु जैसे – जैसे समय अपने पथ की ओर बढ़ रहा है वैसे – वैसे जनसंख्या भी दुगुनी रफ़्तार से बढ़ रही है l जिससे किसानों के पास अब खेतों की जमीन धीरे – धीरे कम होती जा रही है l एक खेत धीरे – धीरे कई छोटे – छोटे टुकड़ों में बंट जाता है जिस पर खेती करना नामुमकिन है l खेत अब बढ़ती जनसंख्या के कारण रहने के प्लॉट तक सीमित हो गए हैं l जिससे किसानों की दिन – दशा बहुत खराब हो रही है l
6. बढ़ते औद्योगिक क्षेत्र – भारत में पहले औद्योगिक क्षेत्र केवल शहरो में ही हुआ करते थे l परन्तु अब समय के पहिए के साथ – साथ औद्योगिक क्षेत्र गांवों तक पहुच गए l किसानों अपनी जमीन को विभिन्न समस्या के कारण औद्योगिक क्षेत्रों के हवाले कर रहे हैं l जिससे कृषि योग्य भूमि अब खत्म होने के कगार पर पहुंच गई है l जो भविष्य के लिए एक चिंता का विषय है l क्योकि किसानों को अब कृषि से उनकी पूर्ति नहीं होने से वे औद्योगिक क्षेत्र की ओर पलायन कर रहे हैं l
7. समय पर कृषि ऋण का भुगतान नहीं – प्राचीन काल में किसानों को ज्यादा कृषि ऋण की जरूरत नहीं होती थी l क्योकि उनको फसलों का अच्छा दाम मिल जाता था l परन्तु अब किसानो को कृषि कार्य के विभिन्न समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है l इन समस्याओं के समाधान के लिए किसान बैंक से दलालों के माध्यम से ऋण ले लेते हैं l परन्तु किसानों को पता नहीं होता कि हमारे कितना ऋण स्वीकृति हुआ है l किसान अनजाने में ऋण ले लेते हैं l वर्षा की अनियमितता, विभिन्न प्राकृतिक समस्याओं, फसलों के अच्छे दाम नहीं मिलना… के कारण किसान समय पर बैंको का ऋण भुगतान नहीं कर पाते हैं l फिर ज्यादा मानसिक तनाव के कारण वर्तमान में कई किसान अपनी जिंदगी को मौत के गले लगा रहे हैं l जो एक बहुत ही बड़ा चिंतनीय विषय है l जिसका समय रहते समाधान करना बहुत आवश्यक है l देश की अर्थव्यवस्था को अगर मजबूत बना है तो पहले किसानो को आर्थिक से मजबूत बनाना होगा l उनकी समस्याओं का समय पर समाधान करना होगा l जिस देश में किसान निवास करते हैं उस देश का भविष्य सुनहरा होता है l