सबगुरु न्यूज-सिरोही। मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने गणतंत्र दिवस पर बयान दिया कि वो अपनी योजनाओं के दम पर इस बार 156 सीटों पर अपनी दावेदारी मजबूत करने के लिए काम करने की बात कही है। इस तरह से उन्होंने एक बार फिर से उ के नेतृत्व में चुनाव होने की दावेदारी भी पेश कर दी।लेकिन, ये दावे हकीकत से कितने दूर हैं ये समझने वाली बात है।
-ब्यूरोक्रेसी ने तय कर दी है गहलोत की हार
अशोक गहलोत सरकार में उनकी मातहत बैठाए गए ब्यूरोक्रेटों ने उनकी 2023 में हार तय कर दी है। गहलोत के प्रमुख सचिव कुलदीप रांका से प्रतापसिंह खाचरियावास, दिव्य मदेरणा जैसे कांग्रेस नेताओं का विवाद छिपा हुआ नहीं है। इतना ही नहीं अशोक गहलोत के द्वारा नियुक्त मुख्य सचिव निरंजन आर्य के अपने गृह जिले में अफसरों का जनता के साथ किये जाने वाले बर्ताव पर मुख्यमंत्री के सलाहकार संयम लोढ़ा के ट्वीट से भी लोग अनजान नहीं है।
सत्ता के करीबी नेताओं के व्यक्तिगत कामों को छोड़कर राजस्थान में आम जनता के कामो को पिछले 4 सालों में जिस तरह से जयपुर सीएमओ में तैनात ब्यूरोक्रेटों से लेकर राज्य के अंतिम छोर तक स्थित क्षेत्र में अधिकारियो ने अटकाया है, उससे जनता इस बार गहलोत सरकार की तमाम स्कीमों के बाद फिर 2003 और 2013 की तरह पटखनी देने को तैयार है।
-सबसे करीबी मंत्री का विभाग निभाएगा महत्वपूर्ण भूमिका
अशोक गहलोत के सबसे करीबी माने जाने वाले मंत्री शांति धारीवाल गहलोत का स्वायत्त शासन विभाग आगामी चुनावों में गहलोत को सत्ताच्युत करवाने में सबसे महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाला है। दूसरा विभाग जो गहलोत सरकार की नाव में छेद करेगा वो है पंचायतराज विभाग। दोनों ही विभाग सीधे तौर से जनता से जुड़े हुए हैं।
आम आदमी की सुविधाओं के 99 प्रतिशत काम इन्हीं दो विभागों से जुड़े हुए हैं। पिछले 4 सालों में जिस तरह से यहां पर कांग्रेस के बोर्डों के नेताओं और स्थानीय नेताओं को अशोक गहलोत सरकार ने दरकिनार करवाकर अधिकारियों को भ्रष्टाचार और आम जनता को परेशान करने के लिए छूट दी है वो ही गहलोत सरकार की हार का रास्ता तय कर चुका है।
प्रशासन शहरो के संग और गांवों के संग अभियानों में जो आंकड़े दिखाए गए उसके सबसे बड़े लाभार्थी कॉलोनाइजर्स और भू-माफिया ज्यादा हैं। इनके अलावा यहां भ्रष्टाचार की दुकान ही ज्यादा चली है। स्थिति ये रही कि दोनों ही विभागों में सबसे ज्यादा भ्रष्ट अफ़सरों को इनाम देने का काम हुआ है। सीएम गहलोत ने गत वर्ष जोधपुर में अभियंता और ठेकेदारों ने नेक्सस की बात कही थी लेकिन, निकायों ने आयुक्तों और ठेकेदारों के नेक्सस ने जनहित में लगने वाली राशि की जितनी लूट करवाई है उतनी शायद ही इससे पहले की सरकारों ने कभी करवाई होगी।
इन सबके बावजूद फ्लैगशिप योजनाओं से लाभान्वित होने वाले सिर्फ 40% लोगो के दम पर घटिया गवर्नेंस से 60% मतदाताओं को परेशान करने वाली सरकार के फिर आने का सपना देखना किसी सुखद मजाक से कम नहीं है। अभी 11 महीने शेष हैं इसमें गवर्नेंस में सुधार का कोई संकल्प दिखाएं तो 2018 में वसुन्धरा राजे के खिलाफ माहौल में भी अपने गृह सम्भाग में कांग्रेस को सम्मानजनक सीटें नहीं दिलवा पाने वाले अशोक गहलोत 2023 में जीत नहीं तो 2013 से ज्यादा इज्जतदार हार का लक्ष्य पा सकते हैं। वरना जबरदस्त हार तो बाहें पसारे खड़ी ही है।