अजमेर। अजमेर जिला परिषद के लिए जिला प्रमुख पद के भाजपा प्रत्याशी महेन्द्र सिंह मझेवला के खिलाफ खुद की पत्नी सुशील कंवर पलाडा को ऐन मौके पर निर्दलीय प्रत्याशी बनाने तथा बगावत का झंडा बुलंद करने वाले भंवर सिंह पलाडा को पार्टी ने अनुशासनहीनता के आरोप में छह साल के लिए बाहर का रास्ता दिखा दिया है। कांग्रेस के सहयोग से जिला प्रमुख बनीं उनकी पत्नी सुशील कंवर को भी छह साल के लिए निष्कासित कर दिया गया है।
भाजपा के प्रदेश महामंत्री भजन लाल शर्मा ने इस संबंध में शुक्रवार को जारी विज्ञप्ति में बताया कि पार्टी से अधिकृत प्रत्याशी के खिलाफ चुनाव प्रचार कर भंवर सिंह पलाडा ने जिला परिषद के भाजपा के निर्वाचित सदस्यों से सुशील कंवर के पक्ष में मतदान करायाा।
इतना ही नहीं बल्कि पलाडा ने अपनी पत्नी के निर्वाचित घोषित होने के तुरंत बाद मीडिया में सार्वजनिक तौर पर घोषणा कि यह चुनाव मुख्यमंत्री अशोक गहलोत, सचिन पायलट व रघु शर्मा के सहयोग से लडा है और जीत हासिल की। यहां तक की सहयोग के लिए उक्त कांग्रेस नेताओं का आभार भी प्रकट किया तथा भाजपा त्यागने की भी घोषणा की। उक्त कृत्य पार्टी अनुशासन भंग करने की परिभाषा में आता है। प्रदेशाध्यक्ष के आदेश पर छह साल के लिए पार्टी की प्राथमिक सदस्यता से निष्काषित किया जाता है।
मालूम हो कि अजमेर जिला परिषद में भाजपा का बोर्ड बनना तय था। लेकिन गुरूवार को जैसे ही जिला प्रमुख पद के लिए पार्टी ने महेन्द्र सिंह मझेवला को प्रत्याशी घोषित किया तो बगावत के सुर परवान चढ गए। पार्टी के कददावर नेता भंवरसिंह पलाडा ने अपनी पत्नी सुशील कंवर पलाडा को निर्दलीय उतार दिया। भाजपा में हुई बगावत के इस मौके को कांग्रेस ने हाथों हाथ लिया और कांग्रेस प्रत्याशी ने उनके समर्थन में नाम वापस ले लिया। इस उलटफेर के साथ ही 11 पंचायत समितियों में से 9 में हुई भाजपा की शानदार जीत को ग्रहण लग गया। चुनाव में 21 सदस्य जीतने के बाद भी भाजपा के अधिकृत प्रत्याशी मझेवला को महज 9 वोट मिले।