जयपुर। राजस्थान में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की अध्यक्षता में आज संपन्न हुई केबिनेट की बैठक में अध्यापक पात्रता परीक्षा (रीट) की लेवल-2 परीक्षा रद्द करने का निर्णय लिया गया।
केबिनेट की बैठक के बाद मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने पत्रकारों से बातचीत में यह घोषणा करते हुए कहा कि लेवल-1 की परीक्षा निरस्त नहीं होगी। बैठक में निर्णय लिया गया कि रीट लेवल प्रथम के 15500 पदों पर नियुक्ति प्रक्रिया जारी रहेगी।
उन्होंने कहा कि अब रीट में 62 हजार भर्तियां होंगी लेवल-2 की जो परीक्षा निरस्त हुई है, वह अगस्त तक होने की संभावना है। उन्होंने कहा कि हमारी सरकार हर दोषी को सजा दिलाकर युवाओं के साथ न्याय सुनिश्चित करेगी।
गहलोत ने कहा कि युवा निश्चिंत रहें, प्रदेश सरकार उनके हित में पूरी तरह साथ खड़ी है। रीट परीक्षा में गड़बड़ी की जांच एसओजी कर रही है। हमारी सरकार हर दोषी को सजा दिलाकर युवाओं के साथ न्याय सुनिश्चित करेगी। इससे पहले विधायक दल की बैठक में सभी विधायकों से इस संबंध में सुझाव लिए गए थे।
गौरतलब है कि दरअसल रीट परीक्षा पेपर लीक को लेकर आई शिकायतों के बाद गहलोत सरकार ने इस पूरे मामले की जांच एसओजी को सौप दी। एसओजी ने भी परीक्षा में हुई धांधली पर मुहर लगा दी है। एसओजी की ओर से जब यह साफ़ हो गया कि एक गिरोह के जरिये पेपर लीक कर बाजार में बेचा गया। उसके बाद से ही यह कयास लगाए जा रहे थे कि परीक्षा को रद्द किया जा सकता हैं।
बड़े लोगों को बचाने की असफल कवायद : पूनियां
राजस्थान में भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष डा सतीश पूनियां ने राज्य सरकार के अध्यापक पात्रता परीक्षा (रीट) की लेवल-दो परीक्षा निरस्त करने को मुख्यमंत्री का यह कदम इस धांधली में लिप्त बड़े लोगों को बचाने की असफल कवायद बताया है।
डा पूनियां ने आज सरकार के इस फैसले पर अपनी प्रतिक्रिया में यह बात कही। उन्होंने आरोप लगाते हुए कहा कि चौतरफा घिरी हुई सरकार के मुख्यमंत्री का यह कदम इस धांधली में लिप्त बड़े लोगों को बचाने की असफल कवायद भर है। यह धांधली क्यूं हुई, बड़े अपराधियों को कब बेनक़ाब किया जाएगा, कब उनकी सजा के प्रयास होंगे, क्या इसका नैतिक जवाब दे पाएँगे मुख्यमंत्री।
उन्होंने कहा कि गिरफ़्तारियां, बर्ख़ास्तगी, मुक़दमे और अब रीट लेवल -2 को रद्द करना यह स्वीकारोक्ति नहीं तो क्या है। उन्होंने कहा कि राजस्थान के इतिहास की अब तक की सबसे बड़ी धांधली हुई है। बेरोज़गारों के पेट पर लात मारी गई है। अगर आप निष्पक्ष जांच करवाएं, निश्चित रूप से वह सब बेनकाब होंगे, इसलिए हमने राय दी थी कि इस मामले में सीबीआइ जांच कराई जानी चाहिए ताकि बेरोजगार युवाओं के साथ न्याय हो सके।