जयपुर। राजस्थान हाईकोर्ट ने रीट भर्ती प्रक्रिया में बर्खास्त माध्यमिक शिक्षा बोर्ड अध्यक्ष डीपी जारोली की भूमिका को संदिग्ध मानते हुए पूछताछ के आदेश दिए हैं। ऐसे में अब इस पूरे प्रकरण को लेकर एसओजी की टीम डीपी जारोली से पूछताछ करेगी। उसी के आधार पर 30 जून को रीट भर्ती प्रक्रिया को लेकर अगली सुनवाई की जाएगी।
हाईकोर्ट की जयपुर बेंच में रीट भर्ती परीक्षा में हुई धांधली को लेकर गुरुवार को सुनवाई की गई। इस दौरान जस्टिस मनिंद्र मोहन श्रीवास्तव और जस्टिस समीर जैन की खंडपीठ में याचिकाकर्ताओं के अधिवक्ता ने कहा कि रीट पेपर लीक में डीपी जारोली की भूमिका संदिग्ध है। प्रदेश भर में जिला को-ऑर्डिनेटर सरकारी अधिकारियों को लगाया गया। लेकिन सिर्फ जयपुर में जारौली ने गैर-सरकारी प्रदीप पाराशर को रीट परीक्षा के आयोजन की जिम्मेदारी दी गई। वहीं से रीट पेपर भी लीक हुआ है।
याचिकाकर्ता ने अधिवक्ता ने कहा कि पेपर लीक होने के बाद जरोली ने भी लीक प्रकरण में राजनीतिक संरक्षण की बात कही थी। बावजूद इसके पुलिस ने अब तक डीपी जारोली को पकड़ उनसे कोई पूछताछ नहीं की है। जिस पर सुनवाई करते हुए कोर्ट ने एसओजी को डीपी जारोली से पूछताछ करने के आदेश दिए हैं। ऐसे में रीट 2021 की नियुक्ति प्रक्रिया हाईकोर्ट में लगी याचिकाओं पर अंतिम फैसले के अधीन रहेगी।
याचिकाकर्ता ने भागचन्द शर्मा के एडवोकेट दीपक कुमार कैन ने बताया कि हाईकोर्ट में सभी पक्षों की ओर से बहस की गई। हमने महत्वपूर्ण पॉइंट उठाया कि माध्यमिक शिक्षा बोर्ड के अध्यक्ष रहे डीपी जारोली को सरकार ने बर्खास्त कर दिया। तो फिर एसओजी उन्हें जांच और पूछताछ के लिए अब तक बुला क्यों नहीं रही है। इस पर कोर्ट ने कड़ा रुख अपनाते हुए जारोली सहित पेपर लीक प्रकरण से जुड़े सभी लोगों से जुड़े दस्तावेज 30 जून को होने वाली सुनवाई में पेश करने को कहा है।
हाईकोर्ट में सुनवाई के दौरान विशेष मुद्दा यह रहा कि लेवल-1 में जिस तरीके से सरकार नियुक्तियां देने की तैयारी कर रही है। उस पर कोर्ट ने आदेश दिए कि अगर सरकार नियुक्तियां देती है। तो भी वह सभी नियुक्तियां रीट परीक्षा को लेकर लगी याचिकाओं के निर्णयों के अधीन रहेंगी।